जसपुर। फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल करने वाले को अदालत ने दोषी पाते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज सिंह राणा की अदालत ने एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
जानकारी के अनुसार राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामजीवनपुर में दिसंबर 2000 में हरगोविंद सिंह की सहायक अध्यापक पद पर तैनाती हुई थी। सितंबर 2017 में सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से हाई स्कूल, इंटरमीडिएट के प्रमाणपत्रों के सत्यापन के संबंध में पत्राचार किया गया था। तब जिला शिक्षा अधिकारी ने भी जिले के 12 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच भी एसआईटी से कराई थी। जांच में हरगोविंद सिंह के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। नौ जुलाई 2018 को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी ने हरगोविंद सिंह सहित अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। हरगोविंद सिंह के खिलाफ कुंडा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की। इस मामले में पूर्व में उप शिक्षा अधिकारी रहे आशाराम चौधरी के भी अदालत में बयान हुए थे। अभियोजन अधिकारी विक्रांत राठौर ने बताया, सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने बीते सोमवार को आरोपी को दोषी पाते हुए सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर 15 दिन का साधारण कारावास और भुगतना होगा। जेल में बिताई गई अवधि सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी।