नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने हल्द्वानी दंगे के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत अर्जी पर सुनवाई की। खण्डपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले पर दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर की तिथि नियत की है।
आज मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पूरोहित की खण्डपीठ में हुई। सुनवाई पर आरोपी के अधिवक्ता के द्वारा कहा कि एकलपीठ ने बीते सोमवार को मलिक की जमानत प्रार्थनापत्र यह कहकर खारिज कर दिया था कि इस मामले से सम्बंधित जमानत याचिकाओं की सुनवाई खण्डपीठ कर रही है। इसलिए खण्डपीठ में जाएं। जबकि राज्य सरकार द्वारा कहा गया था कि आरोपी पर यूएपीए जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। एनआईए एक्ट के तहत शेषन कोर्ट को विशेष कोर्ट का अधिकार प्राप्त हैं। शेषन कोर्ट के आदेश के खिलाफ ही हाईकोर्ट की खण्डपीठ में चुनौती दी जा सकती है।
इसका विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया था कि शेषन कोर्ट स्पेशल कोर्ट नहीं है। इसलिए एकलपीठ जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर सकती है। आगे यह भी कहा गया कि इस मामले में रेगुलर पुलिस जाँच कर रही और उन मामलों में खण्डपीठ सुनवाई कर सकती है, जिसमे एनआईए ने जाँच की हो और उसपर स्पेशल कोर्ट ने निर्णय दिया हो । यहाँ मामले की सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट जमानत प्रार्थनापत्र खारीज कर दिया। सेशन कोर्ट स्पेशल कोर्ट नहीं है।
मामले के अनुसार 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के बनभूपुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने गई प्रशाशन व पुलिस की टीम पर अतिक्रमणकारीयो सहित कई अन्य लोगो ने पथराव, आगजनी और गोलीबारी की। इस दौरान दंगाईयो ने कई गाड़ियों सहित थाने को घेरकर गोलाबारी की। जिसमे कई लोगों की मौके पर मौत हो गयी और 100 से अधिक लोग घायल हुए। जाँच के बाद पुलिस ने 100 से अधिक दंगाईयो को गिरफ्तार किया। जिसमें से एक आरोपी अब्दुल मलिक भी है। आज उनके द्वारा जमानत प्रार्थनापत्र में यह भी कहा है कि जिस दिन यह घटना हुई वे वहाँ न होकर दिल्ली में थे। उन्हें बेवजह फंसाकर उनके ऊपर दंगा भड़काने और दंगाईयो का साथ देने का मुकदमा दर्ज कर दिया। जब अपराध किया ही नहीं तो झूठा मुकदमा किस आधार पर दर्ज किया गया। इसलिए उन्हें जमानत दी जाय। आज उनकी जमानत प्रार्थनपत्र की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने की।