

हल्द्वानी। राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच द्वारा बुलाई गई देशव्यापी आम हड़ताल के समर्थन में बुधपार्क हल्द्वानी में तमाम ट्रेड यूनियनों और जन संगठनों द्वारा विशाल प्रदर्शन और जनसभा का आयोजन किया गया। हड़ताल में शामिल संगठनों में ऐक्टू, बीमा कर्मचारी संघ, उत्तराखण्ड बैंक इंप्लॉइज यूनियन, उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन, सनसेरा श्रमिक यूनियन, अखिल भारतीय किसान महासभा, बीएसएनल ठेका मजदूर यूनियन,भाकपा माले, एम आर एसोसिएशन, पछास, जनवादी लोक मंच, पेंशनर्स कर्मचारी संघ, प्रगतिशील महिला एकता मंच, जन मैत्री संगठन आदि के सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे। प्रदर्शन के बीच में आई भारी बारिश के बावजूद जनसभा जारी रही और लोग डटे रहे।
बुधपार्क में हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि, यह हड़ताल लेबर कोड के विरोध में है, जो मोदी सरकार की कॉर्पोरेट-परस्त नीतियों का हिस्सा हैं और मज़दूरों के मौलिक लोकतांत्रिक अधिकारों — जैसे संगठन बनाने और सामूहिक संघर्ष करने — पर सीधा हमला हैं। यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि, तीसरे कार्यकाल में भाजपा सरकार जिस तरह तेज़ी से बैंक, बीमा, रेलवे समेत रक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों के निजीकरण और सामाजिक-आर्थिक अधिकारों पर हमले को आगे बढ़ा रही है, वह बहुत ही चिंताजनक है। जब इन जन विरोधी नीतियों खिलाफ लोग आवाज उठा रहे हैं तो सरकार मज़दूर विरोधी नीतियों का विरोध करने वाली आवाज़ों को दबाने की कोशिश कर रही है।
वक्ताओं ने कहा कि, यह हड़ताल सिर्फ़ ट्रेड यूनियनों की नहीं, बल्कि किसानों, खेत मज़दूरों और आम जनता की भी आवाज़ है। संयुक्त किसान मोर्चा और विभिन्न खेत मज़दूर संगठनों ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है और देशभर में आज हड़ताल, विरोध कार्यक्रमों और विशाल जनजुटाव हो रहे हैं। मेहनतकश आबादी के बहुलांश की भागीदारी के चलते यह हड़ताल मोदी सरकार के खिलाफ मजदूर वर्ग की ऐतिहासिक हड़ताल बन गई है।
कार्यक्रम के पश्चात उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन और प्रगतिशील भोजनमाता संगठन द्वारा वेतन , पेंशन, सुरक्षा और सम्मान की मांगों के संबंध में अलग अलग ज्ञापन उपजिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया।
हड़ताल के समर्थन में कहा गया कि
श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन करते हुए सरकार द्वारा लागू किए गए चार लेबर कोड मजदूरों के अधिकारों को सीमित करने वाली हैं। ये कानून न केवल यूनियन बनाने के अधिकार को कमजोर करते हैं, बल्कि काम के घंटों को बढ़ाकर, ठेका प्रथा को प्रोत्साहित कर और सुरक्षा मानकों को कम करके श्रमिकों की स्थिति को और बदतर करते हैं, लेबर कोड वापस लिया जाए।
आशा, भोजनमाता, आंगनबाड़ी जैसी स्कीम वर्कर्स को स्थायी कर्मचारी बनाया जाना तो दूर न्यूनतम वेतन तक का अधिकार नहीं मिल रहा है, उनको वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सम्मान दिया जाए। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहुप्रतीक्षित मांग को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है,ओपीएस को लागू किया जाए। निजीकरण की आक्रामक नीति के क्रम में सार्वजनिक उपक्रमों बैंक, बीमा, रेलवे, कोयला, तेल, रक्षा उत्पादन आदि का तेज़ी से निजीकरण न केवल कर्मचारियों की नौकरियों को खतरे में डाल रहा है, बल्कि देश की आर्थिक संप्रभुता को भी कमजोर कर रहा है। अतः सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद किया जाए।
सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने वाले लोगों का दमन बंद किया जाय। महंगाई और बेरोज़गारी में भारी वृद्धि हो रही है, आवश्यक वस्तुओं की कीमतें दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं, जिससे आम जनता का जीवन कठिन हो गया है। दूसरी ओर, बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर है। सरकार रोजगार सृजन के लिए कोई ठोस योजना नहीं ला पाई है। महंगाई और बेरोज़गारी पर रोक लगाई जाय। कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी, ऋणमाफी और लागत आधारित मूल्य निर्धारण की मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं। किसानों की समस्या का समाधान किया जाए।
मनरेगा और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में कटौती करने का काम मोदी सरकार ने किया है। ग्रामीण मज़दूरों के लिए जीवन रेखा मानी जाने वाली मनरेगा योजना का बजट घटाया गया है। इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए पेंशन, बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी कटौती की गई है। ये कटौती बंद हो और इन योजनाओं के लिए पूर्ण बजट आवंटित किया जाए।
श्रमिकों के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता जारी है। कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा पूरे देश ने देखी, लेकिन आज भी सरकार ने उनके लिए स्थायी राहत और कल्याणकारी योजनाएं नहीं बनाई हैं। मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया जाए। संविधान और लोकतंत्र पर हमले बंद किए जाएं।
हड़ताल में ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव व उत्तराखण्ड प्रदेश महामंत्री के के बोरा, बीमा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मनोज गुप्ता, उत्तराखण्ड बैंक इंप्लॉइज यूनियन के जिला सचिव योगेश पंत, उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की हल्द्वानी ब्लॉक अध्यक्ष रिंकी जोशी, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की महासचिव रजनी जोशी, किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी, भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय, सनसेरा श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष दीपक कांडपाल, बीएसएनल ठेका मजदूर यूनियन के प्रांतीय उपसचिव ललतेश प्रसाद, प्रगतिशील महिला एकता मंच की अध्यक्ष बिंदु गुप्ता, पछास के महेश, चन्दन, एम आर एसोसिएशन के उमेश, पूर्व कर्मचारी नेता यतीश पंत, जनवादी लोक मंच के मनोज पाण्डे, ट्रेड यूनियन नेता किशन बघरी, जनमैत्री संगठन के बची सिंह बिष्ट, किसान महासभा बागजाला के पंकज चौहान, क्रालोस के मुकेश भंडारी, विभिन्न बैंक यूनियनों के शिवराज सिंह रावत, हेमू जोशी, कुशाल सिंह रावत, चंद्रशेखर लोहनी, दिनेश गहतोड़ी, बीमा कर्मचारी संघ के भानु प्रकाश उपाध्याय, पंकज त्रिपाठी, जानकी पंत, कामेश टंडन, अशोक कश्यप, आशा यूनियन की रमा भट्ट, शांति शर्मा, रीना आर्य, सायमा सिद्दकी, प्रीति रावत, सरोज रावत, भोजनमाता संगठन की हेमा तिवारी, पुष्पा कुड़ाई, कमला, चंपा गिनवाल, रूपा आदि समेत सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल रहे। संचालन डा कैलाश पाण्डेय ने किया।






