

देहरादून। देहरादून के गुच्चूपानी में साल 2022 में एक ई-रिक्शा चालक की निर्मम हत्या के मामले में एडीजे प्रथम महेश चंद्र कौशिबा की अदालत ने तीन दोषियों को फांसी और दो को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह हत्या मृतक की पत्नी और एक दोषी के अवैध संबंध के चलते हुई थी लेकिन अदालत में पत्नी का गुनाह साबित नहीं हुआ। अदालत ने उसे संदेह का लाभ मिलने से बरी कर दिया।
दोषियों ने 30 साल के एक ई-रिक्शा चालक की पत्थरों से कुचलकर हत्या की थी। उसका शव 29 नवंबर 2022 की दोपहर गुच्चूपानी नाले में मिला था। वह एक दिन पहले यानी 28 नवंबर को लापता हुआ था। उसने जाते समय घर में बताया था कि वह तीन सवारियों को लेकर गुच्चूपानी जा रहा था। इसी सुराग के जरिये पुलिस दोषियों तक पहुंची। पुलिस जांच में सामने आया कि यह एक सोची-समझी हत्या थी।
पुलिस जांच के अनुसार, मृतक की पत्नी का दोषी साबिर अली के साथ अवैध संबंध था जिसकी वजह से हत्या को अंजाम दिया गया।
अदालत ने अरशद, शाहरुख और रवि कश्यप को आईपीसी की धारा 302 और 120बी (हत्या और आपराधिक साजिश) के तहत फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने आदेश दिया है कि तीनों को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उनकी मौत न हो जाए। दोषी साबिर अली और रईस खान को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पांचों दोषियों पर 25-25 हजार रुपयों का जुर्माना भी लगाया है।
एडीजे प्रथम महेश चंद्र कौशिबा ने दोषियों को सजा सुनाते हुए यह भी आदेश दिया कि साबिर अली और रईस खान मृतक ई-रिक्शा चालक के बच्चों को मुआवजे के तौर पर एक-एक लाख रुपये का भुगतान करेंगे। यह मुआवजा राशि तीन महीने के भीतर देनी होगी। अदालत ने दोषियों की मानसिक और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन रिपोर्ट भी मंगवाई थी जिसने सजा तय करने में मदद की।


