

हल्द्वानी। राज्य की आशाओं के लिए पक्का काम, वेतन, पेंशन, सुरक्षा और सम्मान के नारे के साथ ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की ओर से आज राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस के अवसर पर बुधपार्क हल्द्वानी में प्रदर्शन कर सभा व रैली का आयोजन किया गया। बुधपार्क में हुए प्रदर्शन में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन के बैनर तले भोजनमाताएं भी शामिल हुई।
रैली के पश्चात राज्य के मुख्यमंत्री को 8 सूत्रीय मांगपत्र भेजा गया। यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस मांगपत्र पर समयबद्ध तरीके से कार्यवाही करते हुए आशाओं की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो आशा वर्कर्स केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 9 जुलाई को होने जा रही राष्ट्रीय हड़ताल में शामिल होकर काम ठप्प कर देंगी।
उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि,आशा वर्कर्स, जो भारत की ग्रामीण और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं, वर्षों से अत्यंत कम पारिश्रमिक, असुरक्षित कार्यस्थितियों और बिना सामाजिक सुरक्षा के कार्य कर रही हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान इन्होंने अग्रिम पंक्ति पर रहकर जान जोखिम में डालकर सेवा की, लेकिन उसके बावजूद इनके साथ सरकार द्वारा अन्यायपूर्ण व्यवहार जारी है। श्रम कानूनों को खत्म कर लाए जा रहे मोदी सरकार के नए श्रम कोड महिला कामगारों के लिए और भी परेशानी पैदा करेंगे, कुल मिलाकर ये स्कीम वर्कर्स के लिए गुलामी के नए दस्तावेज से कम नहीं हैं।
आशा यूनियन की हल्द्वानी ब्लॉक अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि, उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाओं का विभाग में कोई भी सम्मान नहीं है और न ही वेतन। आशाएं विभाग के सभी अभियानों और सर्वे में बिना किसी न्यूनतम वेतन और कर्मचारी के दर्जे के लगा दी गई हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की सेवा से शुरू करते हुए आज आशा वर्कर्स को सारे काम करने पड़ रहे हैं लेकिन सरकार आशाओं को न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है। इस सबके साथ साथ अस्पताल स्टाफ का व्यवहार आशाओं के प्रति सम्मानजनक नहीं होता है।
सचिव रीना आर्य ने कहा कि, एक तो आशाओं न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा कुछ भी नहीं मिलता दूसरी ओर काम के बोझ को लागातार बढ़ाया जाना कहां तक न्यायोचित है?
मीना मटियानी ने कहा कि, 31 अगस्त 2021 को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा स्थित कैम्प कार्यालय में आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के बाद आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करते हुए प्रतिमाह 11500 रूपये का वादा किया था। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक वादा पूरा नहीं किया गया है। इस वायदे को आशाओं के हित में आपको अवश्य ही पूरा करना चाहिए।
प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की रजनी जोशी ने कहा कि, भोजनमाता और आशा जैसी स्कीम वर्कर्स के शानदार योगदान के महत्व को समझते हुए उनको न्यूनतम वेतन देते हुए स्थायी कर्मचारी घोषित किया जाय और सेवानिवृत्त होने पर सभी स्कीम वर्कर्स के लिए एकमुश्त धनराशि व आजीवन अनिवार्य पेंशन का प्रावधान किया जाय। महिला कामगार मिलकर ही अपनी लड़ाई जीत सकते हैं।
रैली के माध्यम से मांग उठाई कि आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड द्वारा आशाओं के मानदेय को 11500 रूपये करने को लेकर बनाए गए 2021 के प्रस्ताव को लागू करने का आपके द्वारा खटीमा में किया गया वादा तत्काल पूरा किया जाय। आशाओं को न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन का प्रस्ताव विधानसभा के इसी सत्र में पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाय।
जब तक सेवानिवृत्त होने वाली आशाओं को मासिक पेंशन का प्रावधान नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट के समय दस लाख की एकमुश्त धनराशि दी जाय।
आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे कई कई महीनों तक लटकाने के स्थान पर अनिवार्य रूप से हर महीने दिया जाय।आशाओं को ट्रेनिंग के दौरान प्रति दिन पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाय। सभी सरकारी अस्पतालों को आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने का निर्देश दिया जाय और तत्काल इसका आदेश जारी किया जाय
सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को तत्काल भरा जाय। सभी अस्पतालों में आशा घर का निर्माण किया जाय।
प्रदर्शन में मुख्य रूप से डा कैलाश पाण्डेय, रिंकी जोशी, रीना आर्य, प्रीति रावत, सरोज रावत,दीपा आर्य, रजनी जोशी, मीना मटियानी, सायमा सिद्दकी, किरन पलड़िया, पुष्पलता, रश्मि जोशी, गंगा तिवारी, विमला खत्री, सुनीता मेहरा, विनीता आर्य, कमला कंडारी, नसीमा, हुमेरा, मीनू चौहान, सावित्री, चंपा बिनवाल, हेमा तिवारी, स्वाति , चंपा मेहरा, मीना शर्मा, फातमा, गीता पांडे, राबिया, रेखा, पुष्पा, गीता, गंगा साहू, विमला, छाया, जीवंती, खष्टी, जानकी आदि सैकड़ों महिला कामगार शामिल रहीं। समर्थन में हरीश पनेरु, भीम आर्मी के नफीस खान, विकास, सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत साहू भी शामिल हुए।


