
नैनीताल। हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य सरकार से भवाली में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल खोलने के लिए एक दिसंबर से पूर्व विस्तृत प्रस्ताव पेश करने को कहा है।
खंडपीठ ने राज्य में सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं ‘इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड’ के मुताबिक न होने व मरीजों को मूलभूत सुविधाएं न मिलने से संविधान प्रदत्त स्वास्थ्य संबंधी मौलिक अधिकार का हनन होने को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई में कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने नैनीताल में खराब स्वास्थ्य सेवाओं का उल्लेख किया। कोर्ट के संज्ञान में लाया गया, कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि नैनीताल में पहले से ही दो स्पेशलिटी अस्पताल, बीडी पांडे जिला अस्पताल व जीबी पंत अस्पताल चल रहे हैं। ऐसे में भवाली में एक और स्पेशलिटी अस्पताल खोलने की जरूरत नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने इन दोनों अस्पतालों की हालत, जर्जर भवन, अस्पताल तक पहुंच मार्ग, अस्पतालों में डॉक्टरों-तकनीशियनों व अन्य स्टाफ का अभाव, डॉक्टरों व स्टाफ के रहने की सुविधा का अभाव, पुरानी मशीनों आदि का उल्लेख किया। कहा कि सरकार जल्द भवाली में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल खोलने के लिये विस्तृत प्रस्ताव एक दिसंबर से पूर्व कोर्ट में पेश करें। कोर्ट के इस आदेश की प्रति राज्य के स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य सचिव को भी भेजने के निर्देश दिए हैं। पूर्व के आदेशों के क्रम में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा कोर्ट में पेश हुईं।
मामले के अनुसार, हाईकोर्ट स्थित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को एक व्यक्ति ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं के मामले पर शिकायत दर्ज कराई थी। प्राधिकरण ने इस संबंध में हाईकोर्ट को जानकारी दी थी। जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में सुना। कहा कि न तो डॉक्टर अस्पतालों में समय पर आते हैं और न ही स्टाफ। ये भी कहा गया है कि जिला अस्पतालों में मशीनों की कमी के कारण मरीजों को हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। मामले में हाईकोर्ट से सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की प्रार्थना की गई है। कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली को लेकर चौखुटिया में लंबे समय से ग्रामीण आंदोलित हैं।

