नैनीताल। जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार ने पत्नी की हत्या के आरोपी पति को दोषी पाया है। न्यायालय ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी कुछ समय पहले ही सेना से रिटायर हुआ था।
न्यायालय सूत्रों के मुताबिक सतीश पुरी पुत्र तारा पुरी निवासी ग्राम पोता तोक पल्टी विश्यूला, तहसील धारी, जिला नैनीताल को धारा-302 भादव में दोषी पाया तथा न्यायिक हिरासत में लेकर सजा भुगतने हेतु जेल भेजा। बताया कि 18.06.2021 को मृतका बसन्ती देवी उर्फ बीना के पिता मदन गिरी पुत्र धन गिरी निवासी ताडीखेत तहसील रानीखेत, जिला अल्मोड़ा को मृतक की पुत्री
प्रियंका गोस्वामी व श्रीमती कमला देवी अभियुक्त की माता ने टेलीफोन पर सूचना दी कि सतीश पुरी द्वारा 4-5 दिन पहले बसन्ती के साथ मारपीट कर हत्या करने की उद्देश्य से गंभीर चोट पहुंचायी थी, जिस कारण घर के झगड़े में आज चोटों के कारण बसन्ती देवी की मृत्यु हो गयी है। रिपोर्टकर्ता द्वारा 18.00.2021 को पटटी पटवारी विध्यूला के यहीं उपरोक्त सूचना के आधार पर रिपोर्ट दर्ज करायी कि रिपोर्ट कर्ता को 18.06.2021 को 2 बजे अपराहन सूचना मिली कि उसकी पुत्री बसन्ती/बीना पत्नी सतीश पुरी निवासी ओखलकांडा गल्ला तोक, धरता, तहसील खनस्यू, जिला नैनीताल की मृत्यु हो गयी है, मेरे दामाद सतीश पुरी मेरी पुत्री बसन्ती उर्फ बीना के साथ आये दिन मारपीट करता था, मुझे पूरा यकीन है कि उसकी मारपीट के कारण ही मेरी पुत्री की मृत्यु हुई है। मेरे दामाद द्वारा मेरी बेटी की मारपीट कर हत्या की गयी है। अभियुक्त सतीश पुरी पुत्र तारा पुरी नि० ग्राम व पो० मल्ला ठोक घरता, पटटी विध्यूला तहसील धारी जिला नैनीताल द्वारा 15.00.2021 को 2 बजे रात्रि में अपनी पत्नी श्रीमती बसन्ती उर्फ बीता को अपने घर के कमरे के अन्दर काफी गारा-पीटा, जिससे उसे चोटें बायी और बगल के कमरे में अभियुक्त की माता श्रीमती शान्ति देवी व अनियुक्त की पुत्री कु० प्रियंका ने घटना के समय बसन्ती ऊर्फ बीना के चिल्लाने की आगाज सुनी तो अभियुक्त के कमरे की खिड़की से देखा तो अभियुक्त सतीश अपनी पत्नी को बुरी तरह लात-घूसों से मार रहा था। अभियुक्त की साथ पुत्री ने बीच बचाव करने की कोशिश करी तो इनके साथ मारपीट की। श्रीमती शान्ति देवी व प्रियंका अभियुक्त के डर के कारण रात्रि में पास के खेत में छुपे रहे, सुबह वापस आने पर देखा तो श्रीमती बसन्ती देवी के चोट लगी थी। अभियुक्त द्वारा पत्नी का कोई इलाज भी नहीं करने दिया, जिस कारण 18.08.2021 को बसन्ती देवी की चोटों के कारण मृत्यु हो गयी थी। अभियोजन की ओर से गामले में सुशील कुमार शर्मा जिला शासकीय अधिवका फौजदारी द्वारा पैरवी की गयी। अभियोजन तथ्यों को साबित करने हेतु 10 गवाह न्यायालय में परीक्षित कराने और शव विच्छेदनकर्ता डॉ० चन्द्रशेखर भटट द्वारा सुशीला तिवारी अस्पताल में शव का शव विच्छेदन किया। शव में 7 चोटें पायी गयी। साक्षी द्वारा यह भी सिद्ध किया है कि अभियुक्त द्वारा मृतका के साथ घटना के रोज मारपीट कर उसके शरीर में 7 गंभीर चोटें पहुंचायी है, जिस कारण मृतका की मृत्यु हुई है। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा द्वारा बहस के दौरान यह भी तर्ज रखा कि अभियुक्त द्वारा अपनी पत्नी की हत्या करने के आशय से उसे गंभीर घोटें पहुंचायी है। जिस कारण मृतका की खोपड़ी की बाँयी तरफ की हडडी फैक्चर हो गयी थी। मामले में मृतका के पिता के अलावा फूफा के साथ-साथ अभियुक्त के पडोसी लोगों ने अभियुक्त के विरुद्ध न्यायालय में बयान दिये। यह भी बताया कि अभियुक्त भारतीय सेना से जब कुछ रोज से पूर्व रिटायर होकर घर वापस आया तो आये दिन अपनी पत्नी, नाता कमला देवी व पुत्री प्रियंका के साथ आये दिन मारपीट करता था. कई बार गाँव वालों ने बीच बचाव किया था। यह भी बयान दिया कि 15.06.2021 को रात्रि में अभियुक्त द्वारा अपनी पत्नी के साथ मारपीट कर चोट पहुंचाकर उसकी दयनीय स्थिति करने के बावजूद भी लोगों के कहने पर भी जानबूझकर प्राथमिका उपभार नहीं किया और षडयन्त्र के तहत अपनी पत्नी की हत्या की गयी।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल सुबीर कुमार द्वारा अभियुक्त सतीश पुरी को अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में दोषी पाते हुए धारा-302 भा०८०म० के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 50 हजार रू० अर्थदण्ड से दण्डित करने का आदेश किया है तथा अर्थदण्ड अदा ना करने पर 3 वर्ष का कारावास की सजा सुनायी है।
न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में मृतका की 3 नाबालिग पुत्रियों को ८०प्र०स० की धारा-357 उत्तराखण्ड अपराध से पीडित सहायता योजना-2013 व 2020 के तहत सहायता धनराशि प्रदान करवाने बावत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल को भी निर्देशित किया गया है कि उक्त धनराशि नाबालिग बच्चों के नाना मदन गिरी के माध्यम से दिलवाये।
न्यायालय ने अभियोजन पक्ष की ओर से घटना के चश्मदीद साक्षी मृतका की पुत्री व सास श्रीमती कमला देवी को बतौर साक्षी पेश किया गया, दोनों ने अभियोजन तथ्यों का समर्थन नहीं करा और अभियुक्त के पक्ष में बयान देने के कारण दोनों को पक्षद्रोही घोषित किया गया। उसके बावजूद भी अभियुक्त के पड़ोसियों के साक्ष्य की मदद से अभियुक्त को उक्त मामले में अभियोजन दोषी करार करने में सफल रहा। सुनवाई के दौरान अभियुक्त माता और पुत्री द्वारा अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं कीया। इसके बाद भी जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा अन्य गवाह, पड़ोसियों के बयान के आधार पर अभियुक्त के आचरण व व्यवहार पर उसे सजा कराने में सफल हुए।