

हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के नए कुलपति प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने कार्यभार संभालने के बाद आज मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं को डिस्टेंस एजुकेशन के साथ-साथ उनके कौशल को निखारने के लिए स्वरोजगार संबंधित कोर्स भी कराए जाएंगे। और अगले डेढ़ महीने तक विश्वविद्यालय में छात्रों का प्रवेश हो इसके लिए व्यापक पैमाने पर प्रचार प्रसार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश के कोने-कोने पर अपनी शाखाएं खोल चुका है। राज्य के बच्चे ऑनलाइन के साथ-साथ अपने क्षेत्र में ओपन यूनिवर्सिटी के सेंटरों से दाखिला ले सकते हैं।
प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने बताया कि- गुणवत्तापूर्ण दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उत्तराखंड के प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंच बनाना, शैक्षिक नवाचार को बढ़ावा देना, और विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित बनाना।
मुख्य बिंदु: भावी योजनाएँ एवं दृष्टिकोण-
विश्वविद्यालय के प्रचार – प्रसार पर विशेष जोर –
डिजिटल युग में विश्वविद्यालय के प्रचार-प्रसार के लिए जहां एक ओर सोशल मीडिया व अन्य डिजिटल प्लेटफार्मो का उपयोग किया जायेगा वहीं, प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय पर जाकर क्षेत्रीय निदेशकों के सहयोग से सुगम से दुर्गम तक विश्वविद्यालय की शैक्षिक गतिविधियों का प्रचार–प्रसार किया जायेगा और विश्वविद्यालय के घ्येय वाक्य ‘उच्च शिक्षा आपके द्वार’ को धरातल पर लाने का प्रयास किया जायेगा ।
क्षेत्रीय अध्ययन केंद्रों का सशक्तिकरण
राज्य के दूरदराज़ क्षेत्रों में मौजूद अध्ययन केंद्रों को आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षित स्टाफ और बेहतर समन्वय के साथ पुनर्गठित किया जाएगा ताकि स्थानीय विद्यार्थियों को समय पर सहायता मिल सके।
डिजिटल लर्निंग को सुदृढ़ बनाना (ODL with Online)
हम विश्वविद्यालय की ई-लर्निंग व्यवस्था को और सशक्त करेंगे, जिससे विद्यार्थियों को उन्नत, इंटरएक्टिव और सुलभ पाठ्यसामग्री उपलब्ध हो सके। वर्चुअल लैब, ऑडियो-विजुअल कंटेंट और MOOC आधारित कोर्सेज़ की दिशा में भी कार्य किया जाएगा।
कौशल विकास व रोजगारपरक शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, हम रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों को प्रोत्साहित करेंगे। कौशल आधारित कार्यक्रम, इंटर्नशिप्स और इंडस्ट्री-एकेडमिक सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी।
अनुसंधान को बढ़ावा
शोध की गुणवत्ता को सुधारने के लिए ‘अनुसंधान प्रोत्साहन नीति’ बनाई जाएगी। स्थानीय मुद्दों—जैसे पर्यावरण, पलायन, पर्यटन, जैव विविधता, भाषा और संस्कृति—को केंद्र में रखते हुए अनुसंधान कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
शिक्षार्थी हित सर्वोपरि
शिक्षार्थी शिकायत निवारण प्रणाली को पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जाएगा। परामर्श सत्रों पर विशेष जोर दिया जायेगा और साथ ही, करियर काउंसलिंग की सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी।
पारदर्शी व उत्तरदायी प्रशासन
प्रशासनिक प्रक्रिया को डिजिटल और दक्ष बनाया जाएगा ताकि पारदर्शिता, समयबद्धता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
संस्कृति व भाषा संरक्षण
हम उत्तराखंड की लोकभाषाओं और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण हेतु विशेष शैक्षणिक पहल करेंगे।
यह विश्वविद्यालय राज्य का एक मात्र मुक्त विश्वविद्यालय है तथा देश में इग्नू के बाद सर्वाधिक कार्यक्रम संचालित करने वाला मुक्त विश्वविद्यालय है। यह केवल एक शैक्षणिक संस्था नहीं, बल्कि उत्तराखंड के हजारों विद्यार्थियों की आशा का केंद्र है। मेरा प्रयास होगा कि हम सब मिलकर इसे एक ऐसे उत्कृष्ट विश्वविद्यालय में रूपांतरित करें, जो ज्ञान, नवाचार और सामाजिक उत्तरदायित्व का उदाहरण बने।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. खेमराज भट्ट, प्रो. गिरिजा पाण्डेय निदेशक क्षेत्रीय सेवाएं, प्रो. पी डी पंत निदेशक अकादमिक, परीक्षा नियंत्रक प्रो सोमेश कुमार, वित्त नियंत्रक एस पी सिंह एवं निदेशक पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन प्रो. राकेश चंद्र रयाल मौजूद रहे।






