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देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 2024 के आयोजन से पूर्व देहरादून के दून पुस्तकालय एवं शोध संस्थान, देहरादून में गढ़वाळी साहित्यकारों द्वारा संकलित लोकभाषा की कहानियो का गढ़वाळी कथा संकलन के नाम से पुस्तक का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि राकेश जुगरान, प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून ने कहा की आज गढ़वाळी लोकभाषा में बेहतरीन सृजन हो रहा है और इसको आगे बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि भाषा के मानकीकरण में गढ़वाळी गद्य साहित्य को मजबूत करने के लिए कहानी, नाटक, निबंध एवं स्तरीय लेखन की आवश्यकता है।

पुस्तक का परिचय मनोज भट्ट द्वारा दिया गया, उन्होने बताया की इस कथा संकलन में 18 कथाकारों की कहानी संकलित है। पुस्तक की समीक्षा अशोक उनियाल ने किया और प्रकाशित कथा संकलन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की गढ़वाळी भाषा अब उन्नति पर है एवं लेखन में नित नये आयाम स्थापित किये जा रहे है जों गढ़वाली भाषा के साहित्य सृजन में आने वाले भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता धाद के केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने किया, उन्होंने कहा की आज गढ़वाली भाषा में वैश्विक स्तर के लेखन की आवश्यकता को देखते हुए सामायिक तथ्यों पर सृजन करना होगा। उन्होने यह भी कहा की आत्ममुग्धता से बाहर निकलकर लेखन की समीक्षा की जानी जरूरी है, साथ ही हमे साहित्यिक अकादमी के अनुसार अपनी सृजनात्मक शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर हर्षपति व्यास,तोता राम ढोंडियाल, विजय जुयाल तन्मय ममगाई, महेन्द्र ध्यानी शिव दयाल शैलज कैलाश कंडवाल,, शाँति अमोली बिंजोला,रिद्धि भट्ट, कल्पना बहुगुणा,लक्ष्मण रावत, कुलदीप कंडारी, गणेश उनियाल, आदि सदस्य उपस्थित रहे।

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