मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहाकांड में मंगलवार को दो मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई। उत्तराखंड के आंदोलनकारी का शव गंगनहर में बहाकर सुबूत मिटाने के मामले में आरोपी तत्कालीन झिंझाना थाना प्रभारी निरीक्षक समेत तीन पुलिसकर्मियों ने कोर्ट में सरेंडर करते हुए अपने वारंट रिकॉल कराए।
इस मामले में सुनवाई के लिए कोर्ट ने 23 अप्रैल की तिथि नियत की है। वहीं फर्जी हथियार बरामदगी मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए बुधवार की तिथि नियत की है। एक अक्टूबर 1994 की रात पृथक राज्य की मांग के लिए दिल्ली जा रहे उत्तराखंड के आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोक लिया था। टकराव होने पर पुलिस ने आंदोलनकारियों पर फायरिंग कर दी। आरोप है कि पुलिस फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की मौत हो गयी थी, जबकि महिलाओं से छेड़छाड़ व दुष्कर्म के आरोप भी लगे थे।
हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने विवेचना करते हुए दुष्कर्म के मामले में दो मुकदमों में चार्जशीट दाखिल की थी। वहीं एक आंदोलनकारी का शव सुबूत मिटाने के इरादे से गंगनहर में बहाए जाने के मामले में तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गयी थी। सीबीआई ने मामले में विवेचना कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता शिवम भारद्वाज ने बताया कि मामले की सुनवाई एसीजेएम प्रथम मंयक जयसवाल की कोर्ट में चल रही है। 29 मार्च तत्कालीन झिंझाना थाना प्रभारी ब्रज किशोर समेत तीन पुलिसकर्मी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। जिस कारण कोर्ट ने तीनों के वारंट जारी कर दिए थे।
मंगलवार को तीनों पुलिसकर्मियों ने कोर्ट में सरेंडर कर अपने वारंट रिकॉल कराए। जिसके बाद कोर्ट ने सीआरपीसी 313 कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं आंदोलनकारियों से फर्जी हथियार बरामदगी मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई। बचाव पक्ष ने आरोपियों का पक्ष रखते हुए दलील दी। इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए आज बुधवार का दिन नियत किया है।