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सिलक्यारा पहुंचे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने दिया अजीबोगरीब बयान

बचाव की कोशिशों को बताया प्रयोग, सुझाव देने के बजाए की बगैर सिर पैर की बातें

देहरादून। सिलक्यारा टनल मामले में विपक्षी अब घटिया राजनीति पर उतारू हो गया है। घटना के बाद नौवें दिन सिलक्यारा पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेसी व नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने रेस्क्यू अभियान में जुटे टीमों का हौसलाफजाई करने के बजाए अजीबोगरीब बयान देकर उनका मनोबल तोड़ने का काम किया है। आर्य ने कहा कि टनल में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए एक के बाद एक प्रयोग किए जा रहे हैं। बहमूल्य जानों के साथ प्रयोग करने की इजाजत किसी को भी नहीं होनी चाहिए है।

उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल 12 नवंबर को सुबह करीब 4 बजे धंस गई थी, जिसमें 41 श्रमिक फंसे हुए हैं। देश विदेश के विशेषज्ञों के दल श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास यसुद्धस्तर पर कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार रेस्कयू अभियान की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री धामी के साथ ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी व पीएमओ की टीम घटनास्थल का दौरा कर चुके हैं। दूसरी ओर, घटना के 9 दिनों तक कांग्रेस का कोई भी नेता प्रभावितों की सुध लेने सिलक्यारा नहीं पहुंचा। सोमवार को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सिलक्यारा पहुंचते तो उन्होंने राहत में जुटी टीम को हौसला बढ़ाने के बजाए उनके द्वारा किए जा रहे रेस्क्यू मिशन पर ही सवाल खड़े कर दिए। आर्य ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि टनल में फंसे श्रमिकों को भोजन पानी पहुंचाने में भी सरकार असफल रही है।

उनके इस बगैर सिर पैर के बयान से सभी लोग हैरान हैं कि भोजन पानी के बिना टनल के भीतर कोई व्यक्ति 9 दिन तक कैसे जीवित रह सकते हैं। जबकि हकीकत यह है कि टनल में फंसे श्रमिकों में से एक महादेव का अपने मामा के साथ मोबाइल फोन पर हुई बातचीत का एक ऑडियो बीते दिन सामने आया था, जिसमें उसने कहा था कि टनल के भीतर फंसे सभी श्रमिक ठीक हैं और उन्हें लगातार खाद्य सामग्री व पानी उपलब्ध हो रहा है। काबिलेगौर है कि पूर्ववर्ती सरकार ने यशपाल आर्य आपदा प्रबंधन मंत्री रह चुके हैं। उन्हें मालूम होना चाहिए आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य में प्रभावित लोगों, उनके परिजनों के साथ ही रेस्क्यू कर रही टीम का मनोबल बढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन इसके उलट आर्य मौका परस्त राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस आपदा में अवसर ढूंढने से भी बाज नहीं आ रही है। बेहतर होता कि टनल में फंसे श्रमिकों को कैसे जल्दी से जल्दी सुरक्षित बाहर निकाला जा इसके लिए आर्य अपनी ओर से कोई सुझाव सरकार को देते।

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