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देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में चले बचाव कार्य और भाजपा द्वारा किए जा रहे प्रचार प्रसार पर प्रश्न कर बयान जारी करते हुए कहा कि निश्चित ही 17 दिनों बाद सिलक्यारा टनल से श्रमिकों की साकुशल वापसी कुछ साधारण बात नहीं थी, इसके लिए मजदूरों, कर्मचारियों, अधिकारी, एनडीआरफ एवं पुलिस के जवानों तथा विशेषज्ञों का बहुत बड़ा योगदान था लेकिन भाजपा द्वारा अपने राजनीतिक हित साधने के लिए प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को केवल महिमामंडित करना कतई उचित नहीं, मैंने पहले भी कहा है कि भाजपा सिलक्यारा टनल हादसे को एक इवेंट बना रही है और अपनी “पीआर” कर अपनी कुत्सित मानसिकता का परिचय दे रही है, मजदूरों एवं कर्मचारियों द्वारा किए गए कामों का यदि श्रेय धामी सरकार को लेना है तो सरकार को इस बात का भी जवाब देना होगा कि 7 फरवरी 2021 को चमोली के रैणी ऋषि गंगा में आई बाढ़ के कारण रैणी ऋषि गंगा परियोजना में काम करने वाले 105 लोगों की मौत हो गई थी। यहां भी टनल में फंसने से मौत हुई थी। टनल खोलने में तीन दिन का समय लगा। इस हादसे में टनल में फंसे 105 लोगों के शव तो मिल गये थे जबकि 204 लोग लापता हो गए थे। उसके बाद उत्तराखंड के चमोली में अलकनंदा नदी के किनारे नमामि गंगे ऑफिस के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में अर्थिंग में खामी की वजह से करंट फैला जिसमे 16 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 7 लोग घायल हुए थे। इस हादसे में 22 लोग करंट की चपेट में आए थे, उत्तराखंड में समय समय पर भाजपा सरकार की नाकामियों और कुप्रबंधन की वजह से बहुत सी दुर्घटनाएं हुईं और सैकड़ो लोगों ने अपनी जान गवाई है।

क्या इन पर कभी भाजपा ने सार्वजनिक रूप से देश-प्रदेश की जनता से क्षमा मांगी है?

सनद रहे 12 नवंबर को सिलक्यारा टनल हादसे के बाद मुख्यमंत्री से लेकर प्रभारी मंत्री प्रभावित क्षेत्र से नदारद रहे जबकि हकीकत यह है कि ऐसी विकट परिस्थितियों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश, राजस्थान व तेलंगाना चुनाव में व्यस्त है, इससे सरकार की प्राथमिकता और संवेदनहीनता स्पष्ट हो रही थी इस बीच सरकार द्वारा अपनाए जा रहे सभी प्रयास विफल हो रहे थे उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल बचाव कार्यों में तमाम विदेशी मशीनें तथा सरकार का आपदा प्रबंधन पूरी तरह से नाकाम सिद्ध हो रहा था, 17 दिन तक सुरंग में फँसे इन मज़दूरों को निकालने के लिए जब मशीनी प्रयास नाकाम हुए तो आख़िर में रैट माइनर्स को लगाया गया, जिन्होंने हाथ से खुदाई करते हुए फँसे हुए मज़दूरों को निकाला ऐसे में मुख्यमंत्री का क्या बड़ा योगदान रहा है इसे समझा जा सकता है। आज जब मुख्यमंत्री को अपनी नाकामियों को स्वीकार करना चाहिए और तत्काल नवयुग कंपनी पर तत्काल कार्यवाही की बात करनी चाहिए थी उस पर अब सरकार मौन है। क्या यहां पर भी कोई वीआईपी मौजूद है जिसको बचाने का प्रयास धामी सरकार कर रही है?

सिलक्यारा टनल निर्माण हादसे को लेकर कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भूमिका निभाते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कर्मियों को उजागर करते हुए सरकार को चेताने और जगाने का काम करती रही, वहीं सत्ताधारी भाजपा के नेता लगातार कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाती रही है जो कतई उचित नहीं है कांग्रेस सदैव जनहित में राजनीति करती है ना की भाजपा की तरह इवेंट मैनेजमेंट करती है।

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