नैनीताल। वनभूलपुरा में सरकारी भूमि पर निर्मित धार्मिक स्थल और मदरसा हटाने के दौरान हुई हिंसा के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने डीएम नैनीताल से जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि वे कौन अधिकारी थे? जिनके कार्यकाल में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने के बाद भी लोगों को बिजली और पानी का कनेक्शन दिया गया और राशन कार्ड जारी किए गए। उन अधिकारियों के खिलाफ प्रशासन ने क्या कार्रवाई की?
हल्द्वानी के वनभूलपुरा में सरकारी भूमि पर निर्मित धार्मिक स्थल और मदरसा हटाने के दौरान हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी और घायलों को मुआवजा दिलाने के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण 19 फरवरी 2024 के पत्र का हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित में मामले की सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि लोगों को वहां रहते हुए कई दशक से हो गए हैं। अब सरकार उनका आशियाना तोड़ रही है। ये मानवता नहीं है। प्राधिकरण को हिंसा के दौरान मृत एवं घायल लोगों को मुआवजा देने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया गया था। इसमें कहा गया था कि हिंसा के बाद मृतकों के परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लिहाजा, मृतकों के परिजनों को सरकार की 2020 की नियमावली के तहत मुआवजा दिलाया जाए। गंभीर रूप से घायल लोगों को भी मुआवजा दिया जाए। इस संबंध में कोर्ट ने डीएम नैनीताल को निर्देश दिए हैं कि वह इस पर अपना जवाब न्यायालय में पेश करें।