हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा विश्व दिव्यांग दिवस के उपलक्ष में आज दिव्यांग गौरव सम्मान समारोह व संगोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि लालकुऑ विधायक डॉ मोहन सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि निवर्तमान मेयर डॉ जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला व कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ओम प्रकाश सिंह नेगी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में खेल, सामाजिक व विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले दिव्यांगजनों को सम्मानित किया गया जिसमें अर्जुन अवॉर्ड विजेता रुद्रपुर निवासी मनोज सरकार, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित प्रदीप नेगी, बैडमिंटन की राष्ट्रीय पैरा ओलंपिक विजेता सुश्री नीरज गोयल, दृष्टि बाधित लोककवि नरेंद्र रयाल, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में कार्यरत दिव्यांग कार्मिक दिनेश पाल सिंह ज्याडा को मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि व कार्यक्रम अध्यक्ष द्वारा शॉल ओढाकर सम्मानित व प्रतीक चिन्ह देकर पुरूस्कृत किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि व विधायक डॉ मोहन सिंह बिष्ट ने अपने कहा कि दिव्यांगजन दया के पात्र नहीं है बल्कि अब वह एक रोल मॉडल के रूप में समाज के लिए अपनी अहम भूमिका का निर्माण कर रहे हैं। आज सम्मानित होने वाले दिव्यांगजन जिन्होंने अपने क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय कार्य किए हैं वह वास्तव में हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं हम सभी को उनकी जीवन और कर्मठता से सीख लेनी चाहिए कि विषम परिस्थिति में रहते हुए अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। विश्वविद्यालय को इस प्रकार के आयोजन के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं दी और अपेक्षा की विश्वविद्यालय दिव्यांगजनों के हित में सदैव कार्यकर्ता रहेगा। विशिष्ट अतिथि निवर्तमान मेयर डॉ जोगेंद्र रौतेला द्वारा अपने उद्बोधन में दिव्यांग जनों के लिए प्रारंभिक स्तर पर ही दिव्यांगता का पता लग जाने पर उनकी दिव्यांगता के निराकरण के लिए जोर देने की बात कही। साथ ही उन्होंने इसके लिए सामाजिक व शैक्षिक संस्थानों द्वारा आगे आने की बात कही। विश्वविद्यालय को इस प्रकार के आयोजन की बधाई देते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय से अपेक्षा की कि इस तरह की कार्यक्रम हर माह करता रहे तो समाज जागरूक रहेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह नेगी ने अपना उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय इस पाठ्यक्रम का संचालन वर्ष 2015 से कर रहा था वर्ष 2015 के विद्यार्थियों को तकनीकी समस्या के कारण अपने विशेष शिक्षक के रूप में भारतीय पुनर्वास परिषद में नामांकित न होने में तकनीकी समस्या जो आई थी उसका निराकरण विश्वविद्यालय द्वारा कर दिया गया है। विश्वविद्यालय वर्ष 2019 से अब तक कुल पांच बैचों का संचालन किया गया है जिसमें से दो बैच उनके कुलपति कार्यकाल में उत्तीर्ण होकर विशेष शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं समाज में दे रहे हैं तीन अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय के द्वारा पुनर्वास पेशेवरों के रूप में लगभग 700 विद्यार्थियों द्वारा विशेष शिक्षक के लिए बीएड स्पेशल एजुकेशन कोर्स को करवाया गया, विश्वविद्यालय द्वारा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इतने बड़े स्तर पर विशेष शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना अपने आप में गर्व की बात थी जिसको देखते हुए भारत सरकार द्वारा गत वर्ष महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण हेतु पुनर्वास पेशेवरों के विकास में संलग्न सर्वश्रेष्ठ संस्थान के रूप में विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षाशास्त्र विभाग के निदेशक प्रो ए के नवीन द्वारा दिव्यांगजनों के अधिकार के बारे में विशेष जानकारी देते हुए रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, पुनर्वास व बेरोजगारी भत्ता के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन विशेष शिक्षा विभाग के समन्वयक डॉ सिद्धार्थ पोखरियाल द्वारा किया गया कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव प्रोफेसर पी डी पंत द्वारा सभी का धन्यवाद व आभार प्रकट किया गया। इससे पूर्व शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ डिगर सिंह फस्वार्न द्वारा सभी आमंत्रित अतिथियों एवं दिव्यांगजनों का परिचय व स्वागत भाषण दिया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की वित्त नियंत्रक श्रीमती आभा गार्खाल, निदेशक प्रोफेसर रेनू प्रकाश, डॉ ममता कुमारी देवकी सिरोला, श्री मती भावना धोनी, डॉ दिनेश कांडपाल, तरुण नेगी, श्रीमती सुमन पिलख्वाल, श्रीमती प्रियंका सिंह, श्रीमती रश्मि सक्सेना समेत विश्वविद्यालय के अधिकारी शिक्षक कर्मचारी व विद्यार्थी गण उपस्थित रहे।