देहरादून। एसटीएफ उत्तराखण्ड की साइबर क्राईम पुलिस टीम द्वारा सम्पूर्ण भारत वर्ष में प्रचलित डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम 1.27 करोड़ का भण्डाफोड़ करते हुए एक अभियुक्त को भिलाई (दुर्ग), छत्तीसगढ से गिरफ्तार किया है।हरिद्वार में एक प्राइवेट कम्पनी में कार्यरत पंजाब निवासी एक पीडित को साइबर ठगों द्वारा डिजिटल हाउस अरेस्ट के मामले में इस गिरोह का पर्दा फाश किया गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि नोवेटियोर इलैक्ट्रिकल एण्ड डिजिटल सिस्टम प्राइवेट लिमि0 कम्पनी हरिद्वार में कार्यरत मूल रुप से पंजाब प्रान्त निवासी एक पीडित द्वारा कुछ दिन पूर्व साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून पर आकर सूचना अंकित कराई कि 24.08.2024 को उसके मोबाइल नंबर पर *Fedex कोरियर से एक कॉल आयी कि आपका एक पार्सल हे जो मुम्बई से ईरान के लिये भेजा गया था*, उक्त पार्सल पर आपका नाम, मोबाइल नम्बर व ईमेल आई0डी0 अंकित है और उस पार्सल में कुछ अवैध दस्तावेज व सामान जिसमें 02 इण्डियन पासपोर्ट, 05 किलोग्राम प्रतिबन्धित मेडिसिन, 50 ग्राम ड्रग्स MDMA है। इसके विरुद्ध मुम्बई में मुकदमा दर्ज हो चुका है जिसका मुकदमा अपराध संख्या- NCB/MUM/15721/2024 है। यह बताकर कि आप मुम्बई क्राईम ब्रान्च से PCC लीजिये कॉल को मुम्बई क्राईम ब्रान्च कनैक्ट कर दी गई। फिर मुम्बई क्राईम ब्रान्च द्वारा पार्सल के बारे में जानकारी ली गयी और आधार कार्ड नम्बर पूछ गया और बताया कि आपका आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में कई बार इस्तेमाल हो चुका है तथा इस मामले में व्यक्तिगत रुप से मुम्बई आकर केस में सहयोग करना होगा अथवा ऑनलाइन माध्यम से बयान दर्ज कराने को कहा गया।
जिस पर उसके द्वारा ऑनलाइन बयान कराने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया तो उनके द्वारा बताया कि *Skype App बयान दर्ज* करवाने का अधिकारिक माध्यम है और Skype App डाउनलोड करवाकर उक्त ऐप के सर्च में जाकर मुम्बई की एक क्राईम ब्रांच साईट पर कनैक्ट करवाकर वीडियो कॉल शुरु की गयी और चैट में पुलिस आईडी कार्ड भेजा गया व लगभग 01 घण्टे तक पूरी जाँच प्रक्रिया समझाते हुये बताया गया कि उक्त सारी जाँच प्रक्रिया न्यायालय में पेश करने के लिये रिकॉर्ड की जायेगी जिसमें 02 घण्टे से 02 दिन भी लग सकते हैं तथा इस दौरान दरवाजा बन्द रखने व किसी से भी बात करने से मना किया गया।
इसके बाद उसके सभी बैंक खातों की जानकारी प्राप्त कर खातों में अनियमितता पायी जाना बताकर इस प्रकरण में आरबीआई को भी शामिल करने की बात कहते हुये सारा पैसा वेरिफिकेशन हेतु बताये गये खाते में ट्रांसफर करने को बताया गया कि जाँच के बाद आपका सारा पैसा आपके खाते में वापस कर दिया जायेगा। उनके बताये अनुसार पैसा ट्रांसफर करने के बाद उनके द्वारा और अधिक रुपये ट्रांसफर करने को कहने पर जब वह असमर्थ रहा तो ये लोग भड़क गये और धमकाने लगे की पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट PCC न मिलने के कारण आपके इण्डिया के सारे अकाउण्ट फ्रीज हो जायेंगे और आपको 07 साल की सजा हो जायेगी और कॉल डिसकनैक्ट कर दी गयी। इसके बाद ही उसे अहसास हुआ कि उसके साथ 43 लाख रुपये की ठगी हो चुकी है।
साइबर अपराधियों द्वारा पीडित को डिजिटल हाउस अरेस्ट कर पीडित की जिन्दगी भर की कमाई धोखाधडी से हड़प ली गयी थी। प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु पुलिस टीम गठित कर अभियोग के सफल एवं शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी और आखिरकार साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त मोनू (काल्पनिक नाम) उम्र-31 वर्ष को जिला भिलाई (दुर्ग), छत्तीसगढ क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया जिसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त बैंक खाते का एस0एम0एस0 अलर्ट सिम नं0 सहित एक मोबाइल हैण्डसेट व एक 16 जीबी सैनडिस्क बरामद हुआ। इसमें 1.27 करोड़ का संदिग्ध लेनदेन पाया गया है|
डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बीप0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर* के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप एप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।
कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।
ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं। इसमें 1.27 करोड़ का संदिग्ध लेनदेन पाया गया है|
गिरफ्तार अभियुक्त का नाम पता- मोनू (काल्पनिक नाम) निवासी चन्द्रनगर, भिलाई (दुर्ग), छत्तीसगढ, उम्र-31 वर्ष है। गिरफ्तारी जुनबानी रोड, भिलाई (दुर्ग), छत्तीसगढ से की गई। गिरफ्तारी पुलिस टीम में निरीक्षक विजय भारती,उपनिरीक्षक हिम्मत सिंह, कांस्टेबल नीरज नेगी योगेश्वर प्रसाद कान्ती शामिल थे।