देहरादून। एलटी शिक्षकों के प्रवक्ता कैडर में वर्षों से लंबित प्रमोशन को जल्द कराने की राज्य सरकार की कोशिशों को झटका लगा है। लोक सेवा अभिकरण ने तदर्थ शिक्षकों की एक अक्तूबर 1990 से वरिष्ठता देने से जुड़े अपने 24 अप्रैल 2022 के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया। अभिकरण ने कहा कि मामले में सरकार पहले ही हाईकोर्ट जा चुकी है। ऐसे में अभिकरण अब मोडिफिकेशन और रिव्यू एप्लीकेशन पर विचार नहीं कर सकता है।
दरअसल, विभाग ने अभिकरण से अनुरोध किया था कि वो वरिष्ठता विवाद से प्रभावित 59 तदर्थ शिक्षकों के पद आरक्षित रखते हुए बाकी रिक्त पदों पर प्रमोशन की अनुमति दे दें। वर्तमान में सरकारी स्कूलों में प्रवक्ता कैडर में प्रमोशन कोटे के 3105 पद रिक्त हैं। 24 अप्रैल 2022 को अभिकरण ने शिक्षा सचिव को तीन महीने के भीतर सीनियरिटी विवाद का समाधान करने के आदेश दिए थे। तदर्थ शिक्षक अपनी नियुक्ति तिथि एक अक्तूबर 1990 से वरिष्ठता देने की मांग कर रहे हैं। जबकि विभाग का कहना है कि तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण वर्ष 1999 और 2001 में हुआ है इसलिए बैकडेट से वरिष्ठता नहीं दी जा सकती है। अभिकरण के आदेश के खिलाफ सरकार हाईकोर्ट में अपील कर दी थी। कुछ समय पहले शिक्षकों के प्रमोशन के विवाद को सुलझाने के लिए अभिकरण से 24 अप्रैल 2022 के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया था। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 1986 में तदर्थ रूप से नियुक्त शिक्षकों को वर्ष 1995 से वरिष्ठता दी गई है। ऐसे में एक अक्तूबर 1990 को तदर्थ रूप से नियुक्त शिक्षकों को उसी तारीख से सीनियरिटी दे दी तो पूरा ढांचा ही बिखर जाएगा। वर्तमान में इस विवाद से तदर्थ विनियमितीकरण श्रेणी के 59 शिक्षक ही शेष हैं। ऐसे में इन पदों को रोकते हुए बाकी 3000 से ज्यादा पदों पर प्रमोशन की अनुमति मांगी गई थी। अभिकरण अध्यक्ष यूसी ध्यानी और सदस्य कैप्टेन आलोक शेखर तिवारी ने लंबी सुनवाई के बाद सात जनवरी को इस मामले में अपना आदेश दे दिया है।
तदर्थ विनियमित शिक्षक संघ के मुख्य संयोजक बीडी बिजल्वाण ने कहा कि अभिकरण का निर्णय स्वागतयोग्य है। सरकार वरिष्ठता विवाद को बिना वजह लटका रही है। कुछ प्रकरण में कोर्ट भी एक अक्तूबर 1990 से सीनियरिटी का लाभ देने के आदेश दे चुकी है। लिहाजा सभी तदर्थ शिक्षकों को वर्ष 1995 के जीओ के अनुसार नियुक्ति तिथि ही से ही वरिष्ठता का लाभ देना चाहिए।