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देहरादून। बिल्डर बाबा साहनी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता की जमानत जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रेम सिंह खिमाल की कोर्ट ने भी खारिज कर दी। अभियोजन की ओर से तर्क दिया गया था कि दोनों बाहर आकर साक्ष्यों से छेड़छाड़ और गवाहों पर दबाव बना सकते हैं। साथ ही विदेश भागने की भी आशंका है।
24 मई को बाबा साहनी ने एक रिहायशी भवन की आठवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। साहनी के पास मिले सुसाइड नोट के आधार पर अजय गुप्ता और उसके बहनोई अनिल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया था। 25 मई से दोनों सुद्धोवाला जेल में बंद हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने बाबा साहनी के साथ उनके प्रोजेक्ट में निवेश किया और अब बिना प्रोजेक्ट पूरा हुए ही उस पर कब्जा करने की नियत से साहनी को धमका रहे थे।
इसी दबाव में आकर साहनी ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मामले में धोखाधड़ी और वसूली के लिए धमकाने की धाराएं भी जोड़ी थीं। इस आधार पर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पिछले सप्ताह अनिल और अजय गुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पिछले दिनों जिला एवं सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल की गई थी। कोर्ट ने शुक्रवार को अर्जी पर दोनों पक्षों को सुना।

अभियोजन की ओर से दोनों आरोपियों की जमानत का विरोध किया गया। कोर्ट को बताया, दोनों पर मुकदमा साहनी के सुसाइड नोट के आधार पर दर्ज किया गया है। दोनों को जमानत मिली तो वे देश से बाहर जा सकते हैं। उधर, बचाव पक्ष ने तथ्यों को दोहराया और सुसाइड नोट के आधार पर मुकदमे को गलत बताया। उन्होंने बढ़ी धाराओं का विरोध भी किया, लेकिन बचाव के तर्कों को दरकिनार करते हुए कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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