एडिटर इन चीफ अजय अनेजा
प्रत्यर्पण का सामना कर रहे व्यवसायी विजय माल्या के वकील ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह लंबे समय से उनसे बातचीत नहीं कर रहा है। उन्होंने अदालत से दरख्वास्त की कि उन्हें इस मामले में माल्या का प्रतिनिधित्व करने से उन्हें मुक्त कर दिया जाय।
शीर्ष अदालत ने वकील को भगोड़े के लिए अपना कानूनी प्रतिनिधित्व वापस लेने की प्रक्रिया शुरू
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और हिमा कोहली ने वकील से कोर्ट की रजिस्ट्री को माल्या का ईमेल और यूके में रहने का पता देने को कहा। वकील ने कहा कि वह माल्या के इस मामले से मुक्त होना चाहते है, क्योंकि उन्हें माल्या की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। शीर्ष अदालत ने वकील को भगोड़े के लिए अपना कानूनी प्रतिनिधित्व वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी। पीठ को बताया गया कि शीर्ष अदालत ने भारत में माल्या की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को कदम उठाने का भी निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत भारतीय स्टेट बैंक के साथ एक मौद्रिक विवाद के संबंध में माल्या द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी।
माल्या को अपने आचरण के लिए कभी कोई पछतावा नहीं- पीठ
जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को 2017 में अदालत की अवमानना के लिए चार महीने के कारावास की सजा सुनाई। उस पर अदालत से जानकारी छिपाने का आरोप था। शीर्ष अदालत ने माल्या को 40 मिलियन अमरीकी डॉलर जमा करने का भी आदेश दिया था, जिसे उन्होंने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था, इन परिस्थितियों में, कानून को बनाए रखने के लिए अवमानना करने पर पर्याप्त दंड देना चाहिए और आवश्यक निर्देश भी पारित करने चाहिए, ताकि अवमानना करने वाले या उसके अधीन दावा करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त लाभ शून्य हो जाएं।
पीठ ने कहा कि माल्या को अपने आचरण के लिए कभी कोई पछतावा नहीं है। उसने कोई माफी नहीं मांगी। कोर्ट ने उस पर चार महीने की सजा और 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें कहा गया है कि अगर तय समय के भीतर जुर्माने की राशि जमा नहीं की जाती है, तो माल्या को दो महीने की और सजा भुगतनी होगी।