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संपादक अजय अनेजा।
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हल्द्वानी लालकुआं हल्दुचौड्-उत्तराखंड मैं करोड़ों लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से नदियों के खनन पर निर्भर हैं चाहे वाहन स्वामी मजदूर दुकानदार मार्केट स्थानी छोटे-मोटे कारोबारी यहां की अर्थव्यवस्था नदियों के खनन पर निर्भर करती है कई दशकों से नदियों में खनन का कार्य होता आया है जिससे यहां के करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है साथ ही सरकार को भी करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त होता हैभाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण इस रोजगार को ग्रहण लग गया है सरकार चाहे रोजगार के लाख दावे करें मगर धरातल पर कुछ और ही दिख रहा है सरकार ने अपने लोगों को फायदा दिलाने के लिए समतलीकरण के नाम पर जगह-जगह पट्टे देकर इस रोजगार को लगभग समाप्त कर दिया है लोगों ने भाजपा सरकार को इसलिए बहुमत दिया था की डबल इंजन की सरकार उनके क्षेत्र का विकास करेगी अब लोग सरकार के इस नीतियों के खिलाफ गोला नदी को खोलने के लिए धरना प्रदर्शन पिछले 3 महीने से कर रहे हैं
सरकार की ओर से कई ऐसे फरमान वाहन स्वामियों के ऊपर थोपे गए जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई हैथोपे गए नियम इस प्रकार से हैं ग्रीन टैक्स फिटनेस टैक्स जीपीएस की धनराशि इतनी बढ़ा दी गई है जिससे मोटर वाहन मालिक पूरे सीजन में वाहन चलाकर भी पूरा नहीं कर पाते हैं समतलीकरण के नाम से है जो पट्टे दिए गए हैं उसकी रायल्टी सात रुपया पर कुन्टल जबकि गोला नदी से खनन सामग्री को लेने पर ₹32 पर कुन्टल रॉयल्टी तय की गई है गोला संघर्ष समिति ने इसका विरोध किया है वह पिछले 3 महीने से विरोध कर रहे हैं इसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धरने प्रदर्शन को समर्थन दिया है जबकि क्षेत्रीय तौर से ग्राम प्रधान संगठन क्षेत्र पंचायत सदस्य और कई सामाजिक संगठनों ने इस धरने को अपना समर्थन दिया है पिछले साल से अक्टूबर में गोला नदी खुलने की तैयारी हो जाती थी इस बार दिसंबर जाने को है सरकार की तरफ से कोई भी सार्थक पहल नहीं की गई
आखिर भाजपा डबल इंजन की सरकार पिछले 7 सालों से राज्य में कार्य कर रही है लोगों को रोजगार देने का बड़े जोरों से बखान कर रही है पूजी पतियों को फायदा दिलाने के लिए गोला नदी पर सरकार की नीतियों के कारण ग्रहण लग गया है सोचना यह है कि यह सरकार कब तक आंखें बंद किए हुए रहती है सरकार के लाख दावे करने के बाद भी धरातल पर कोई ऐसी उम्मीद नहीं दिख रही है जिससे गोला नदी को सुचारू रूप से चलाया जाए उधर क्रेशर वाले खनन सामग्री को लेने को तैयार नहीं है उनका एक ही जवाब है
खनन सामग्री की उठान न होने के कारण हम खनन सामग्री नहीं ले सकते सरकार गोला नदी खोलने को तैयार है क्रेशर माल लेने को तैयार नहीं है इसमें वाहन स्वामी गोला नदी से खनन सामग्री कहां ले जाएंगे यह एक सोचने का विषय है। कई दशकों से चलता हुआ रोजगार गोला नदी लाइफ लाइन जिससे लाखों लोग लाभान्वित उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार ने लोगों को दाने-दाने का मोहताज सड़कों पर बैठने को मजबूर आखिर सरकार की मजबूरी क्या सरकार रोजगार के दावे खूब जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है