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हल्द्वानी : बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर फैसले को सुरक्षित रखा है। अतिक्रमण का यह मामला एक-दो नहीं, बल्कि 15 साल का है। एक तिरपाल के छप्पर से शुरू हुआ अतिक्रमण 29 एकड़ जमीन में फैला गया। कोठियां और इमारतें आसमां छूनें लगीं।

बनभूलपुरा के पास करीब 29 एकड़ भूमि है, जिसे रेलवे अतिक्रमण का बता रहा है। ये इलाके वार्ड एक, 18, 20, 22, 24, गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, नई बस्ती हैं। इन इलाकों में धर्म विशेष की आबादी की बहुलता है। 2020 और 2021 में रेलवे ने इन इलाकों में 15 दिन में कब्जा खाली करने का नोटिस भी दिया था, फिर भी अवैध कब्जे नहीं हटाए जा सके।

रेलवे व अतिक्रमणकारियों के बीच कागजबाजी 2016 से जारी है। जमीन का सीमांकन कर पिलर भी लगा दिए थे। गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने अतिक्रमण के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा है।हाईकोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकीं हुई हैं। हल्द्वानी के एक बुजुर्ग बताते हैं कि रेलवे की जमीन चारों तरफ जंगल से घिरी थी। बाहरी राज्यों से आए लोग यहां तिरपाल के छप्पर डालकर रहने लगे। उनकी आंखों के सामने धीरे-धीरे छप्परों ने पक्के भवनों का रूप लिया। भवन कोठी व दोमंजिला तथा तिमंजिला इमारतों में तब्दील हो गई।\4365 वादों की हुई सुनवाई हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य संपदा अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल में करीब चार साल पहले सुनवाई शुरू हुई थी। रेलवे की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिक्रमण की जद में आए 4365 वादों की सुनवाई हुई। जिसमें सभी वादों का निस्तारण हो चुका है। मगर कोई भी अतिक्रमणकारी कब्जे को लेकर ठोस सबूत नहीं दिखा पाया। किसी के पास भी जमीन संबंधित कागजात नहीं मिले।

सरकारी योजनाओं से लाभांवित अतिक्रमणकारी यहां रह रहे लोग सभी सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। राशन कार्ड, आधार कार्ड के साथ ही उनके स्थायी निवास प्रमाणपत्र बने हैं। प्रधानमंत्री पीएम आवास योजना से भी लोग लाभांवित हो चुके हैं। लोगों का दावा है कि वे नगर निगम को टैक्स भी देते हैं। हर घर में बिजली-पानी के कनेक्शन हैं।23 करोड़ खर्च होने का अनुमान पूर्व में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने को लेकर रेलवे से मास्टर प्लान मांगा था। इसके बाद जिला प्रशासन व रेलवे अतिक्रमण हटाने की तैयारियों में जुट गया था। जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने में करीब 23 करोड़ रुपये लगने का अनुमान जताया था। 15 मई को प्रशासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने तैयारियां करते हुए बुलडोजर व पोकलैंड के लिए टेंडर भी जारी कर दिए थे।पीपी एक्ट में दिया गया था नोटिस राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, रेलवे इज्जतनगर मंडल ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमणकारियों को पीपी एक्ट में नोटिस दिया गया था। इनकी सुनवाई रेलवे ने पूरी कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास भूमि के वैध कागजात नहीं पाए गए थे।

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