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रुद्रप्रयाग। फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर रुद्रप्रयाग जिले में नौकरी करने के मामले में दोषी दो शिक्षकों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने पांच वर्ष कैद की सजा सुनाई है।

मामले में राज्य सरकार की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी प्रमोद चंद्र आर्य और अधिवक्ता पंकज चौधरी ने पैरवी की। रुद्रप्रयाग जिले में तैनात शिक्षक विक्रम सिंह और शिव सिंह राणा पर आरोप था कि उन्होंने बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की। मामले में शासन स्तर से एसआईटी जांच कराई गई। दोनों शिक्षकों की बीएड की डिग्री का सत्यापन चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से कराया गया। जिसमें यह फर्जी पाई गईं। इसके आधार पर शिक्षा विभाग ने दोनों शिक्षकों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया। शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने सुनवाई करते हुए विक्रम सिंह और शिव सिंह राणा को फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर नौकरी पाने का दोषी पाया। अभियुक्त विक्रम सिंह और शिव सिंह राणा को आईपीसी की धारा 420 के अंतर्गत पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा और दस-दस हजार रुपये अर्थदंड लगाया। जुर्माना अदा नहीं करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं आईपीसी की धारा 471 के अंतर्गत दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दोनों सजाएं साथ चलेंगी। दोनों को जेल भेजा गया है।

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