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विचार एक नई सोच के सचिव राकेश बिजल्वाण अपनी टीम के साथ रहे मौजूद

माँ गंगा के तट पर जोशियाड़ा उत्तरकाशी में स्थित है रुद्राक्ष वाटिका

उत्तरकाशी। रुद्राक्ष पौधरोपण मुहिम के तहत जोशियाड़ उत्तरकाशी में स्थित रुद्राक्ष वाटिका में परमार्थ निकेतन के पूज्य स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, परमार्थ से आई साध्वी भगवती सरस्वती, उत्तराखंड के जाने माने फिजिशियन और विचार एक नई सोच सामाजिक संगठन के संरक्षक डाक्टर एसडी जोशी, सचिव राकेश बिजल्वाण, डॉ अंजली नौटियाल, डॉ चिराग बहुगुणा ने गंगा विचार मंच के प्रांत संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट के अनुरोध पर पर्यावरण वाटिका में रुद्राक्ष के 20 पौधों का रोपण किया।

आज उत्तरकाशी में माँ गंगा के तट पर जोशियाड़ा में स्थित रुद्राक्ष वाटिका में 300 रुद्राक्ष के पौधों के साथ लहलहाने लगी है। इस अवसर पर चिदानद मुनि महाराज ने कहा कि एक समय आएगा जब देश विदेश के लोग उत्तरकाशी में रुद्राक्ष वाटिका के दर्शन के लिए आयेंगे। उन्होंने कहा की उनका लक्ष्य उत्तरकाशी की गंगा घाटी में एक लाख रुद्राक्ष पौध रोपण की है। लोग उन्हें खाली स्थान बताएं और रुद्राक्ष पौध उपलब्ध कराना परमार्थ की जिम्मेदारी है।

उत्तरकाशी में इस पुनीत कार्य को गँगा विचार मंच के प्रांत संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट के नेतृत्व में माँ गंगा के तट पर विभिन्न स्थानों पर वर्ष 2022 में 8000 रुद्राक्ष की पौध का सफल रोपण किया गया। गँगा स्वच्छता व पर्यावरण से जुड़े गंगा विचार मंच के प्रयासों से गँगा तट पर जोशियाड़ा व हीना में जल विधुत निगम के सहयोग से रुद्राक्ष वाटिकाओं का निर्माण किया गया।। जोशियाड़ा वाटिका वर्ष 2022 में रुद्राक्ष के 300 रुद्राक्ष पौध का सफल रोपण हुआ था जो आज सफलता के साथ लहलहा रहे हैं।।

आपको बताते चलें कि परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि महाराज जी ने उत्तरकाशी के विभिन्न जगहों पर रुद्राक्ष की 8000 पौध उपलब्ध कराई थी।। रोपण और जगहों का चयन व वाटिकाओं का निर्माण का कार्य गंगा विचार मंच के प्रांत संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट के नेतृत्व में हो रहा है।

रुद्राक्ष से ब्लड प्रेशर व कोलेस्ट्रॉल रहता है नियंत्रित

इस मौके पर डॉ एसडी जोशी ने गंगा विचार मंच के प्रांत संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट का धन्यवाद अदा किया कि उन्होंने इस पुनीत कार्य में शामिल होने के लिए उन्हें आमंत्रित किया।उन्होंने कहा आदि काल से रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना जाता है। बात अगर औषधीय गुणों की करें तो इसकी बनी माला गले में डालने से रक्तचाप काफी हद तक नियंत्रण में रहता है। रुद्राक्ष में केमो फॉर्मेकोलॉजिकल नाम का गुण पाया जाता है। इस गुण से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। इससे दिल संबंधी रोग होने का खतरा कम हो जाता है। रुद्राक्ष में आयरन, फॉस्फोरस, एल्युमीनियम, कैल्शियम, सोडियम और पोटैशियम गुण पर्याप्त मात्रा में होते हैं। रुद्राक्ष के ये गुण शरीर के नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं।

रुद्राक्ष से हो सकती है अच्छी आय

विचार एक नई सोच के सचिव राकेश बिजल्वाण ने लोकेंद्र सिंह बिष्ट के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा हिंदू धर्मग्रंथों में रुद्राक्ष का काफी महत्व है। साथ ही औषधीय गुण होने के कारण इसे आयुर्वेद में भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है। अगर किसान राज्य में रुद्राक्ष के पौधे लगाकर इसका व्यवसायिक उपयोग किया जाए, तो इससे अच्छी आय अर्जित हो सकती है।वहीं शास्त्रों में एक, दो, तीन व पांच मुखी रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व बताया गया है।

संरक्षण व संवर्धन की जिम्मेदारी के साथ जारी है मुहिम

लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि रुद्राक्ष की पौध को उन्ही संस्थाओं व विभागों के परिसर में लगाया है जिन्होंने इनके संरक्षण व संवर्धन की जिम्मेदारी ली थी। इस कार्य मे नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी ने 400 रुद्राक्ष के पौध, जल विद्युत निगम जोशियाड़ा वा मनेरी ने 1000 पौध, सीमा सड़क संगठन BRO ने 200 रुद्राक्ष पौध, आई टी बी पी महिडण्डा ने 600 रुद्राक्ष पौध, आई टी बी पी मातलि ने 100 रुद्राक्ष पौध, पुलिस अधीक्षक ने 150 रुद्राक्ष पौध का अपने अपने परिसरों में सफल रोपण वर्ष 2022 में किया जा चुका है।।

इधर रुद्राक्ष के रोपण कार्य को आगे बढ़ाते हुए गंगा विचार मंच उत्तराखण्ड ने पुनः जोशियाड़ा में 20 रुद्राक्ष पौध का रोपण परमार्थ निकेतन के पूज्य स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, परमार्थ से आई साध्वी भगवती सरस्वती, उत्तराखंड के जाने माने फिजिशियन और विचार एक नई सोच सामाजिक संगठन के संरक्षक डाक्टर एसडी जोशी, सचिव राकेश बिजल्वाण, डॉ अंजली नौटियाल, डॉ चिराग बहुगुणा, दीपक जुगराण, एस सती, आदि ने प्रतिभाग किया। इसके साथ ही परमार्थ निकेतन से स्वामीजी के साथ आए 12 देशों के प्रतिनिधियों के हाथों भी रुद्राक्ष के पौधे का रोपण करवाया गया। इस मौके पर सभासद महावीर चौहान, मनोज रांगड, जल विद्युत निगम के अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

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