हल्द्वानी। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग पूरी होने के बाद अब एक बार फिर महंगाई के मोर्चे पर जनता को बड़ा झटका लगा है। जनता पर महंगाई की मार पड़ गई। भाजपा सरकार आम जनता की जेब काटने में लगी है। क्यों? खजाने को खाली करके भाजपा सरकार अब वसूली कर जनता पर महंगाई का चाबुक चला कर रही है।
श्री आर्य ने कहा कि राज्य में बिजली की कीमतों में करीब 7 फीसदी तक का उछाल आया है, जिसका सीधा असर राज्य के 22 लाख उपभोक्ताओं पर होगा। इतना ही नहीं सरकार ने उपभोक्ताओं पर फिक्स चार्ज को भी बढ़ाया है। यानी उपभोक्ताओं पर दाम बढ़ाने को लेकर दोहरी मार पड़ी है। बड़ा सवाल है की प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई यह दरें इसी महीने 1 अप्रैल से लागू होंगी। ऐसे में सवाल यह है कि यदि बिजली के दाम में बढ़ोतरी 1 अप्रैल से लागू की गई है तो फिर 1 अप्रैल से पहले ही इसकी घोषणा क्यों नहीं की गई?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आयोग की मुहर के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को 3.40 रुपए से 7.35 रुपए प्रति यूनिट तक बढ़ोत्तरी की गई है। इसके अलावा 100 यूनिट तक खर्च करने पर 3.40 रुपए प्रति यूनिट और 400 यूनिट से ज्यादा खर्चने पर 7.35 रुपए प्रति यूनिट और फिक्स चार्ज भी 70 रुपये से बढ़कर 85 रुपए प्रति माह हो गए हैं। पहले ही महंगाई की मार से आम आदमी त्रस्त है, वहीं बिजली बिल में भारी इजाफे से घरों का बजट गड़बड़ाना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड दूसरे राज्यों को सस्ते दामों पर बिजली उपलब्ध करा रहा है, लेकिन अपने ही राज्य में डबल इंजन की सरकार सबसे महंगी बिजली उपभोक्ताओं को दे रही है। प्रदेश की जनता को अब डबल इंजन की सरकार का ऐसा विकास नहीं चाहिए जिससे जनता की जेब पर सरकार रात दिन डाका डालने का काम करे।
श्री आर्य ने कहा कि एक तरफ घटती आय व मांग की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही है, वहीं प्रदेश में बिजली की दरें ऊपर जा रही हैं. कारोबारी व जनता, सब त्रस्त हैं. उत्तराखंड में बिजली दर बढ़ने से निवेशक और दूर होगा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की मेहनती जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढ़ेगा व उनका जीवन और भी अधिक त्रस्त व कष्टदायी होगा। सरकार पहले गुणवत्ता युक्त बिजली प्रदान करे । न तो पर्याप्त बिजली मिल रही है न मेंटेनेंस हो रहा है। ऐसे में शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव बेमानी है। सरकार को इस पर तुरन्त पुनर्विचार करना चाहिए।