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नैनीताल। हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ के कानड़ी गांव में खनन सामग्री ढोने के लिए अवैध रूप से सड़क बनाने के मामले में जुर्माने की 14 लाख रुपये की राशि मृतक पट्टाधारक की फर्म से वसूल करने का आदेश दिया है। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।

कानड़ी गांव निवासी नीमा वल्दिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके गांव में नदी के किनारे सरकार ने खनन के लिए साल 2022 में पट्टा लीज पर दिया था। शुरुआत में पट्टाधारक ने मजदूर लगाकर खनन कार्य किया। बाद में खनन सामग्री को ढोने के लिए उसने बिना अनुमति के वहां सड़क बनानी शुरू कर दी। याचिका में कहा है कि इस दौरान पट्टाधारक ने 100 से अधिक खैर और साल के पेड़ काट दिए। ग्रामीणों के विरोध करने पर कुछ समय के लिए उसने सड़क निर्माण का काम रोक दिया। विरोध थमने पर फिर से सड़क बनानी शुरू कर दी। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन ने उनकी शिकायत पर कोई निर्णय नहीं लिया। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि अवैध रूप से बन रही इस सड़क का निर्माण कार्य रोका जाए। मंगलवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि पूर्व के आदेश पर सरकार ने एक कमेटी गठित कर पट्टाधारक से रिकवरी के आदेश जारी किया था। साथ ही पट्टे की उसकी लीज भी निरस्त कर दी थी। लेकिन इस बीच पट्टाधारक की मृत्यु हो जाने के कारण 14 लाख रुपये की रिकवरी नहीं हो पाई। कोर्ट ने यह वसूली दिवंगत पट्टाधारक की फर्म से करने का आदेश दिया है।

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