

देहरादून। खनन विभाग से रिटायर बुजुर्ग के खाते में जमा लाखों रुपये हड़पने के लिए मामा-भांजे ने मिलकर उनकी हत्या कर दी। बुजुर्ग की हत्या बीते पांच फरवरी को सहारनपुर जिले के देवबंद इलाके में की गई। इसके बाद शव को नहर में फेंक दिया गया। सात मार्च को लापता होने का केस दर्ज कर पुलिस ने सोमवार को मामले का खुलासा किया। बुजुर्ग का सिम लेकर हत्यारोपियों ने उसके जरिए अपने फोन में ई-वॉलेट ऐप एक्टिवेट किया। उनके खाते से करीब 13 लाख रुपये भी ट्रांसफर कर लिए गए।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि खनन विभाग से रिटायर हुए जगदीश (68) मूल निवासी रायबरेली, हाल में सरस्वती पुरम, नथुवावाला में किराये पर रहते थे।
बीते एक फरवरी से उनका फोन बंद आ रहा था। छह मार्च को उनके भतीजे संजय कुमार ने रायपुर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जांच के दौरान पुलिस को मृतक के बैंक खाते से संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जानकारी मिली। इसके बाद पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया गया। जांच में सामने आया कि बुजुर्ग के खाते से लगातार एक अन्य खाते में पैसे ट्रांसफर हो रहे थे। पुलिस ने इस खाते की जानकारी जुटाई तो पता चला कि यह खाता मोहित त्यागी के नाम पर है। जो हाल ही में खुलवाया गया था। इसके बाद पुलिस ने मोहित को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि उसने अपने मामा प्रवीण त्यागी उर्फ पारुल के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया।
मोहित त्यागी दून में ई-रिक्शा चलाता है। उसकी जगदीश से चार साल पहले से जान-पहचान थी। इसी दौरान उसने बुजुर्ग की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली। पता लगा कि बुजुर्ग के खाते में करीब 25 लाख रुपये जमा हैं और वह अकेले रहते हैं और कैंसर है। जिसका फायदा उठाते हुए मोहित ने झांसा दिया कि देवबंद (सहारनपुर) में एक डॉक्टर उनकी बीमारी का पूरा इलाज कर सकता है। बुजुर्ग को विश्वास में लेकर चार फरवरी को मोहित उन्हें कार से अपने मामा के घर देवबंद ले गया। अगले दिन मोहित और उसके मामा प्रवीण ने मिलकर रस्सी से गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी।
इस घटना में मोहित त्यागी उम्र 31 वर्ष पुत्र महावीर सिंह निवासी देवबंद, शुगर मिल के पास जिला सहारनपुर। हाल निवाीस गली नंबर छह, पुष्प विहार गुजरोंवाली चौक, थाना रायपुर व प्रवीण कुमार त्यागी उर्फ पारुल उम्र 55 वर्ष निवासी लखनौती थाना देवबंद, जिला सहारनपुर, यूपी। हाल निवासी नूरपुर शुगर मिल के पास थाना देवबंद शामिल थे।
हत्या के बाद आरोपियों ने मृतक का मोबाइल फोन अपने पास रखा। उसका सिम कार्ड निकालकर मोहित ने अपने फोन में डाल दिया। आधार कार्ड का इस्तेमाल कर मृतक के नाम से यूपीआई आईडी बनाई। इसके बाद उनके बैंक खाते से 13 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। इनमें करीब 4.80 लाख रुपये मोहित ने खाते से नगद निकाले। पांच लाख रुपये की अपने मामा के नाम पर एफडी करा दी। आरोपियों से जगदीश के बैंक खाते से जारी किया गया 4.80 लाख रुपये का चेक भी बरामद हुआ।
एक फरवरी से जगदीश का फोन बंद आ रहा था। जब छह मार्च तक कोई संपर्क नहीं हुआ, तो उनके भतीजे संजय कुमार ने रायपुर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जांच के दौरान पुलिस को बैंक खातों में हो रही संदिग्ध ट्रांजेक्शनों का पता चला, जिससे यह मामला खुल गया।
जगदीश के लापता होने के कुछ दिन बाद उनके बैंक खाते से ट्रांजेक्शन बढ़े। लाखों रुपये यूपीआई आईडी के जरिए एक बैंक खाते में ट्रांसफर हुए। तब पुलिस देहरादून में ई-रिक्शा चलाने वाले मोहित तक पहुंची। उसके पकड़े जाने पर मामले की परते खुलती चली गईं। रायपुर थानाध्यक्ष प्रदीप नेगी ने बताया कि बुजुर्ग का शव बीते सात फरवरी को सहारनपुर जिला पुलिस ने बरामद कर लिया था। शिनाख्त नहीं होने पर अज्ञात में अंतिम संस्कार किया गया। वहां से पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगवा ली है।




