देहरादून। नामी कंपनियों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर युवाओं से करोड़ों की ठगी करने वाले दो साइबर ठगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। आरोपी सहारनपुर रोड पर एक ट्रांसपोर्ट कंपनी की आड़ में कॉल सेंटर चला रहे थे। इनमें एक साइबर ठग देहरादून और एक पौड़ी गढ़वाल के लैंसडाैन का रहने वाला है।
इनके पास से दो लैपटॉप, प्रीएक्टिवेटेड सिम, मोबाइल और पासबुक आदि बरामद हुए हैं। आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु आदि जगहों पर कई शिकायतें दर्ज हैं। एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया, सूचना मिली थी कि कुछ लोग भारत और विदेश की नामी कंपनियों में नौकरी के नाम पर युवाओं को ठग रहे हैं। फर्जी ऑफर लेटर भी दिए हैं।
तस्दीक की गई तो पता चला कि इनमें से कुछ नंबर पटेलनगर थाना क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। एसटीएफ की टीम ने इस सूचना के आधार पर मोबाइल फोन और अकाउंट नंबरों की जांच की। पता चला कि पांच बैंक खातों में पिछले दो माह में लाखों रुपये जमा हुए हैं। यह रकम देशभर के कई राज्यों के युवाओं से ठगी गई है।
सूचना पुख्ता होने के बाद एसटीएफ की टीम ने सहारनपुर रोड स्थित बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के ऑफिस में छापा मारा।टीम ने देखा कि वहां पर एक कॉल सेंटर संचालित हो रहा था और दो युवक मौजूद थे। इनमें से एक ने अपना नाम ईश्विंदर शेरगिल निवासी गांधी ग्राम देहरादून और दूसरे ने विवेक रावत निवासी लैंसडाैन पौड़ी गढ़वाल बताया।
विवेक रावत का हाल पता जैदपुर, बदरपुर, नई दिल्ली का है। इस सेंटर को ईश्विंदर शेरगिल संचालित करता है। उसने अपने साथ में विवेक रावत को सेलरी पर रखा हुआ था। वह 2019 में थाना वसंत कुंज नई दिल्ली से भी जेल जा चुका है। उसने एसटीएफ को बताया, वह बाबा ट्रांसपोर्ट कंपनी और सन्नी फाउंडेशन नाम का एनजीओ चलाता है।
उसने तीन-चार लड़कों को अपने साथ लगाया हुआ है। विवेक रावत को युवाओं से पैसे ठगने के काम के लिए रखा हुआ था। वह युवाओं को फोन करता था। उनसे कहता था कि उन्हें इस कंपनी में नौकरी पर रखा जा रहा है। इसके लिए उनसे प्रोसेसिंग फीस आदि के नाम पर 20 से 30 हजार रुपये तक जमा करा लिए जाते थे।
पूछताछ में बताया, वे कुछ एजेंसियों से युवाओं का डाटा खरीदते हैं। इसके लिए प्रति युवा के डाटा के लिए एक हजार रुपये दिए जाते हैं। इस डाटा में उनकी सारी जानकारी होती है। मसलन उनकी क्या पढ़ाई है वे किस दिशा में नौकरी खोज रहे हैं, किस क्षेत्र में उनकी रुचि है आदि। इस हिसाब से ही उन्हें जॉब का ऑफर दिया जाता है। वे कॉल करने के लिए 800 रुपये में एक प्रीएक्टिवेटेड सिम खरीदते हैं।
आरोपी एक युवा को फोन करते हैं। उन्हें एक कंपनी में नौकरी का झांसा दिया जाता है। सबसे पहले उनका एक ऑनलाइन टेस्ट लिया जाता है। टेस्ट के लिए उनसे 250 रुपये लिए जाते हैं। बेहद मामूली प्रश्नों को पूछा जाता है। पास दर्शाकर उनसे नौकरी की प्रक्रिया पूरी करने को कहा जाता है। इसके लिए उनसे कुछ हजार रुपये लिए जाते हैं। इंटरव्यू भी ऑनलाइन लिया जाता है। इसके बाद 20 से 30 हजार रुपये तक लेकर उन्हें एक जॉब ऑफर लेटर फर्जी तरीके से ऑनलाइन भेज दिया जाता है। एक खाते में वह चार से पांच लाख रुपये ही जमा कराते हैं। इसके बाद दूसरे खाते का इस्तेमाल किया जाता है।