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अल्मोड़ा। अल्मोड़ा के लमगड़ा थाना क्षेत्र के भागादेवली में अपने ही बच्चों के हाथों मारे गए सुंदर लाल ने आईटीबीपी में करीब 34 साल सेवाएं दीं। करीब नौ साल पहले पत्नी के निधन के बाद उन्होंने नौकरी के साथ-साथ तीनों बच्चों की अच्छी परवरिश भी की। जब वह सेवानिवृत्त होकर बच्चों के पास लौटे तो हालात उम्मीद से इतर पाए। ऐसे में उन्होंने तय किया कि अब वह पैतृक गांव में ही रहकर सुकून का जीवन बिताएंगे, लेकिन रिटायरमेंट पर उन्हें फंड आदि की मिली एकमुश्त रकम हड़पने के के लिए कलेजे के टुकड़ों ने ही उनकी जान ले ली।

लमगड़ा ब्लॉक के भागादेवली निवासी सुंदर लाल की आईटीबीपी के सेवाकाल में जगह-जगह पोस्टिंग होती रही। इस दौरान उन्होंने पत्नी और बच्चों को सीमाद्वार देहरादून स्थित आईटीबीपी परिसर के सरकारी क्वार्टर में रखा ताकि उनकी पढ़ाई ढंग से हो सके। तीन महीने पहले वह सेवानिवृत्त हुए। क्योंकि पत्नी का निधन हो चुका था, तो वह आगे की जिंदगी बच्चों के साथ गुजारना चाहते थे। लेकिन रिटायरमेंट के बाद देहरादून पहुंचने पर सुंदर लाल को बच्चों का व्यवहार बदला-बदला नजर आया। जिससे खिन्न होकर उन्होंने अपने पैतृक गांव का रुख कर लिया। हालांकि बच्चों को वह हर महीने खर्च भेजते रहे, लेकिन बच्चों की नजर पिता के रिटायरमेंट की रकम पर थी। यही रकम सुंदर लाल की जान की दुश्मन बन गई। यह रकम हासिल नहीं होने पर दो बेटियों, एक बेटे और बड़ी बेटी के कथित प्रेमी ने मिलकर सुंदर लाल को मौत के घाट उतार दिया।
ऐसा नहीं कि सुंदर लाल ने गांव आने के बाद बच्चों से रिश्ता खत्म कर दिया था। भाई ओम प्रकाश के मुताबिक, गांव आ जाने के बाद भी वह बच्चों की जरूरतों पूरा ख्याल रखते थे। खर्च के लिए उन्हें रुपये भी भेजते थे। बच्चों की नजर उनकी रिटायरमेंट की एकमुश्त रकम पर थी।
मृतक सुंदर लाल के भाई ओमप्रकाश के मुताबिक, बच्चों को सुंदर लाल से कोई लगाव नहीं था। सेवानिवृत्ति के बाद सुंदर लाल बच्चों के साथ रहना चाहते थे। लेकिन रिटायरमेंट के बाद फंड आदि की रकम आते ही बच्चों ने उनसे यह रकम हड़पने के लिए तकादा शुरू कर दिया। ओम प्रकाश बताने हैं कि सुंदर लाल बच्चों की हर जरूरत पूरा करते थे, लेकिन फालतू खर्च के लिए मना भी करते थे।
रिटायरमेंट में मिली पूरी रकम अपने खाते में डालने की जिद पर बड़ी बेटी अड़ी थी।

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