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चमोली। उत्तराखंड में चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी के लापता सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद आज पितृ पक्ष के अंतिम दिन उत्तराखंड पहुंचा। छह गनेडियर रुद्रप्रयाग की बटालियन ने पार्थिव शरीर को गाैचर हेलीपैड पर सलामी दी। गौचर से पार्थिव शरीर को रुद्रप्रयाग ले जाया जाएगा। जहां से गुरुवार सुबह पार्थिव शरीर थराली कोलपुड़ी अंत्येष्टि के लिए ले जाया जाएगा।

बता दें कि नारायण सिंह वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में वायुसेना के एएन-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त होने पर लापता हो गए थे। 56 साल बाद जिन चार सैनिकों के अवशेष मिले हैं उनमें एक कोलपुड़ी गांव के नारायण सिंह का शव भी शामिल है।
कोलपुड़ी गांव के प्रधान और नारायण सिंह के भतीजे जयवीर सिंह ने बताया कि सोमवार को सेना के अधिकारियों ने उनकी पहचान होने की सूचना दी। उन्होंने बताया कि जेब में मिले पर्स में एक कागज में नारायण सिंह ग्राम कोलपुड़ी और बसंती देवी नाम दर्ज था। साथ ही उनकी वर्दी के नेम प्लेट पर भी उनका नाम लिखा था।
सेना के अधिकारियों ने जयवीर सिंह को बताया कि बर्फ में शव सुरक्षित था। डीएनए सैंपल लिया गया। बताया कि रिकाॅर्ड के अनुसार नारायण सिंह सेना के मेडिकल कोर में तैनात थे।
नारायण सिंह के साथी रहे कोलपुड़ी के सूबेदार गोविंद सिंह, सूबेदार हीरा सिंह बिष्ट और भवान सिंह नेगी ने बताया कि वह बहुत सौम्य स्वभाव के थे।
बचपन से ही सेना के प्रति उनमें जुनून था। 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे एएमसी में नियुक्त थे।

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