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एडिटर इन चीफ अजय अनेजा।

कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल में आए दिन कोई न कोई दिक्कत बनी रहती है। माइक्रोस्कोप मशीन की खराबी के चलते जहां पिछले डेढ़ साल से ईएनटी विभाग में जटिल ऑपरेशन ठप हैं वहीं महीने भर से प्लास्टिक सर्जन के न होने से मरीजों को ठीक से देखने वाला तक कोई नहीं है। सर्जन के अस्पताल छोड़ के बाद इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को तिथि नहीं मिल रही और मरीज बैरंग लौट रहे हैं और नए मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं।

हल्द्वानी। बुधवार सुबह 10:30 बजे से 12:30 के दौरान हमने देखा कि अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ थी और दोपहर 12:30 बजे तक 1100 ओपीडी हो चुकी थी। पहली मंजिल में ईएनटी विभाग में भी मरीजों की संख्या अच्छी खासी थी लेकिन विभाग में डेढ़ साल से माइक्रोस्कोप मशीन खराब होने के कारण कान के जटिल ऑपरेशन नहीं हो रहे थे। पता चला कि विभागाध्यक्ष अवकाश पर हैं।

ऑपरेशन के लिए मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर जाना मजबूरी बना हुआ है। कर्मचारियों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से प्रस्ताव शासन को भेजा गया है लेकिन मशीन अब तक ठीक नहीं हो सकी है। ओपीडी में करीब चार मरीज ऐसे भी पहुंचे जिनके कान के अंदर हड्डी में संक्रमण था लेकिन माइक्रोस्कोप मशीन खराब होने के कारण उन्हें लौटा दिया गया। यही नहीं मशीन के खराब होने से पीजी की ट्रेनिंग भी नहीं हो पा रही है।प्लास्टिक सर्जन के न होने से ग्राफ्टिंग बंद सुशीला अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन की कमी मरीजों को परेशानी में डाल रही है। करीब एक माह पहले ही सर्जन यहां से छोड़ कर चले गए तब से जले हुए गंभीर रोगियों की ग्राफ्टिंग (जले हुए हिस्से में दूसरी जगह का मास लगाना) नहीं हो रही है। वहीं पांचवे मंजिल में स्थित प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में बर्न, प्लास्टिक सर्जरी और ग्राफ्टिंग का एक एक मरीज भर्ती मिला। वहीं जनरल सर्जरी वार्ड में सुबह 11.40 बजे 23 मरीज भर्ती मिले। विभागीय कर्मचारियों ने बताया कि सर्जन नहीं होने से सर्जरी के नए मरीज लिए नहीं जा रहे हैं और जो पुराने मरीज हैं और जिन्हें आगे की तिथि दी हुई थी सर्जन न होने से बैरंग लौट रहे हैं।

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