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नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में अवमानना का सामना कर रहे योग गुरु स्वामी रामदेव की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। उत्तरखंड सरकार के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पतंजलि और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों को बनाने का लाइसेंस रद्द कर दिया है। प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी है।

इससे पहले, पतंजलि द्वारा जारी भ्रामक विज्ञापन पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में बताया, राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने योग गुरु रामदेव की कंपनी के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज ऐक्ट के तहत यह कार्रवाई की है। पतंजलि और दिव्य फार्मेसी की स्वासरी गोल्ड, स्वासरी वटी, मुक्त वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, पतंजलि दृष्टि आईड्रॉप सहित 14 उत्पादों के उत्पादन लाइसेंस रद्द किए हैं। हलफनामे के मुताबिक, 10 अप्रैल 2024 को राज्य के तीन प्रमुख समाचार पत्रों के माध्यम से राज्य में संचालित सभी दवाओं की फैक्ट्रीज को ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज ऐक्ट में उल्लिखित रोगों से संबंधित विज्ञापन जारी नहीं करने को लेकर सार्वजनिक नोटिस जारी किया था, लेकिन इसके बाद भी नियमों की अनदेखी हो रही थी।
उत्तराखंड सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि राज्य औषधि लाइसेंसिंग अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार द्वारा पतंजलि और दिव्य फार्मेसी को औषधियों के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर चेतावनी/नोटिस दिया गया था, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। इसके बाद दोनों कंपनियों का 14 उत्पादों को बनाने का लाइसेंस रद्द किया गया है। चेतावनी आदेश का पालन नहीं करने, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी द्वारा जारी भ्रामक विज्ञापनों को लेकर 16 अप्रैल को हरिद्वार के जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी/ ड्रग इंस्पेक्टर ने मुकदमा दर्ज कराते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में वाद दायर किया है। इसपर 10 मई को सुनवाई होगी।