ख़बर शेयर करें -

देहरादून। एसटीएफ उत्तराखण्ड की साइबर क्राइम पुलिस टीम द्वारा सम्पूर्ण भारत वर्ष में करोड़ों रुपए की साइबर धोखाधडी डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम का भण्डाफोड़ करते हुये गिरोह के मुख्य अभियुक्त को जयपुर, राजस्थान से गिरफ्तार किया है। निरंजनपुर, देहरादून निवासी एक पीडित के साथ सवा दो करोड रुपये से अधिक की ठगी के मामले में इस गिरोह का पर्दा फाश हुआ है।
गिरोह द्वारा मुम्बई साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी बनकर व्हाट्सएप पर वॉइस/वीडियो कॉल व मैसेज के माध्यम से पीडित को 09 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट रख कर दो करोड़ 27 लाख 23 हजार रूपए ठग लिए थे। गिरफ्तार अभियुक्त के कब्जे से घटना में प्रयुक्त AU Small Finance बैंक खाते का एसएमएस अलर्ट सिम नंबर सहित एक मोबाइल हैण्डसेट बरामद हुआ।
अब तक की विवेचना के दौरान गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे उक्त AU Small Finance Bank खाते के विरुद्ध अरुणाचल प्रदेश व महाराष्ट्र में भी शिकायतें दर्ज होना पायी गयी हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि निरंजनपुर देहरादून निवासी एक पीडित द्वारा कुछ समय पूर्व साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून पर आकर सूचना अंकित कराई कि 09.09.2024 को उसके मोबाइल नंबर पर मुम्बई साइबर क्राइम पुलिस के नाम से एक फोन आया जिसके द्वारा शिकायतकर्ता के आधार व मोबाइल फोन से अपराध होना बताकर व्हाट्सएप पर बात करने को कहकर फोन काट दिया गया, शिकायतकर्ता द्वारा उक्त फोन नंबर पर पुनः बात करने की कोशिश की तो वह नंबर शिकायतकर्ता के कॉल लॉग से हट गया। फिर शिकायतकर्ता को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आयी जिसमें सामने एक व्यक्ति पुलिस यूनिफॉर्म में बैठा था जिसके द्वारा शिकायतकर्ता के आधार व फोन नंबर से खुले हुये एक बैंक खाते में अपराध से सम्बन्धित पैसों का लेन देन होने के सम्बन्ध में शिकायतकर्ता के विरुद्ध मनी लॉण्ड्रिंग का केस व गिरफ्तार वारण्ट जारी होने व नेशनल सिक्योरटी एण्ड सिकरेट एक्ट की बात कहकर इस घटना को किसी के साथ साझा किया तो ऐसा करने पर जेल और मनी पैनल्टी हो सकती है तथा 24 घण्टे के अन्दर गिरफ्तारी का भय दिखाकर डराया धमकाया गया। जिससे शिकायतकर्ता डर गया और अपने को बचाने के लिए कहने लगा। इस पर उक्त तथाकथित साइबर ठगों द्वारा कहा गया कि यह केस उच्च लेबल का है उच्चाधिकारीगण से बात करनी पडेगी व जब तक आप हमारी निगरानी मे रहेगें आपको हर 03 घटें मे व्हाटसएप्प पर अपनी उपस्थिति के मैसेज करने होगें तथा इस दौरान कहीं भी यात्रा करने से मना किया गया व डराने के लिये कुछ नोटिस भी भेजे गये और शिकायतकर्ता के फंड की जांच करने के लिए सभी बैंक खातो की जानकारी ली गयी। शिकायतकर्ता को डर था कि कहीं पुलिस उसे पकड न ले इस डर से वह डिजिटल रुप से हाउस अरेस्ट/ निगरानी में रहते हुये 11.09.2024 से 17.09.2024 तक उनके बताये अनुसार खातों में रुपये जमा करता रहा। उनके द्वारा कहा गया की अवैध लेनदेन को ट्रैक करने के लिए आपके बैक खातो की निगरानी की जा रही हैं और कहा की 24-48 घंटों के बाद आपके खाते में पैसे वापस कर दिये जाएगे । यदि कोई भी लेनदेन गलत पाया गया तो आपके घर कि निलामी कर दी जायेगीं । शिकायतकर्ता द्वारा पैसे भेजने के बाद भी और पैसो की मांग जारी रहने पर शिकायतकर्ता को एहसास हुआ कि यह एक स्कैम था किन्तु तब तक उसके साथ दो करोड़ 27 लाख 22 हजार सात सौ रुपये की साइबर ठगी हो चुकी थी।
साइबर अपराधियों द्वारा पीडित को डिजिटल हाउस अरेस्ट कर पीडित की जिन्दगी भर की कमाई धोखाधडी से हड़प ली गयी थी। प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु पुलिस टीम गठित कर अभियोग के सफल एवं शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी और आखिरकार साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त नीरज भट्ट उम्र-19 वर्ष को जयपुर राजस्थान से गिरफ्तार किया गया। जिसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त AU Small Finance बैंक खाते का एस0एम0एस0 अलर्ट सिम नं0 सहित एक मोबाइल हैण्डसेट बरामद हुआ। तथा अब तक की विवेचना से गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे उक्त खाते के विरुद्ध अरुणाचल प्रदेश व महाराष्ट्र में भी शिकायतें दर्ज होना पायी गयी हैं।

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम, मोबाइल नम्बर, आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला, मनी लॉण्ड्रिंग आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप एप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।
कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।
ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।

गिरफ्तार अभियुक्त नीरज भट्ट पुत्र गोविन्द प्रसाद भट्ट निवासी 75/11 बी अग्रवाल ब्वायज हॉस्टल, नियर – लैण्डस्कैप पार्क, मानसरोवर, जयपुर उम्र- 19 वर्ष को जयपुर, राजस्थान से गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी पुलिस टीम में निरीक्षक देवेन्द्र नबियाल, अपर उपनिरीक्षक मुकेश चन्द, कांस्टेबल सोहन बडोनी
नितिन रमोला शामिल थे।

Ad Ad Ad Ad Ad

You cannot copy content of this page