देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि अल्मोड़ा के बिनसर वन्य जीव विहार में आग में झुलस कर चार वन कर्मियों के जान गंवाने की घटना अत्यंत हृदयविदारक है। चार अन्य वन कर्मियों का घायल होना भी बेहद गंभीर है। वन्यजीव कितने मारे गए होंगे इसका तो कोई हिसाब ही उपलब्ध नहीं है। उन्होंने मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि एवं उनके परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की।
श्री आर्य ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण की लड़ाई जल, जंगल जमीन को लेकर थी। सरकार के सामने ये सब घटनायें पिछले कई माह से हो रही हैं, जंगलों की आग से नदियां, जल स्रोत सब खत्म हो रहे है, अमूल्य वन संपदा नष्ट हो रही है, लाखो जीव जंतु, पक्षी आदि भस्म हो रहे है, इकोसिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, प्रमुख विपक्षी दल के नाते हमने सरकार को निरंतर इसके लिए आगाह भी किया पर यह अफसोसजनक है कि जंगलों में आग की घटनाएं से निपटने की सरकार की तैयारी शून्य रही , हर वर्ष जंगलों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ने लगी है लेकिन सरकार की निष्क्रियता के कारण द्वारा इसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में वनाग्नि के मामले बढ़ते हैं तो सरकार द्वारा रोकथाम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी जाती है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद भी कोई ठोस कदम जंगल की आग से निपटने के लिए नहीं उठाए गए। बड़ा प्रश्न है कि कर्मचारी क्यों बिना उपकरण के थे, क्यों उन्हें बिना ट्रेनिंग के मौत के मुंह में धकेला जाता है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वन विभाग और उसकी अग्निशमन शाखा और उसके कर्तव्यों और उसकी तैयारी इस बार भी शून्य है । उत्तराखण्ड में 67 प्रतिशत जंगल हैं जो वैश्विक पर्यावरण के संतुलन के साथ- साथ उत्तराखण्ड के पर्यटन में भी अहम भूमिका निभाते हैं जिससे यहाँ के लोगो को रोजगार का भी लाभ होता है। ऐसे संवेदनशील विषय पर सरकार का कोई दृष्टिकोण नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार के पास तमाम संसाधन हैं लेकिन उसके पास न कोई तैयारी है न कोई विजन।